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मोहे अपने ही रंग में रंग दे रंगीले
तो तू साहेब मेरा महबूब-ए-इलाही,
हमरी चदरिया पिया की पगरिया दोनों बसंती रंग दे
तो तू साहेब मेरा महबूब-ए-इलाही,
जो तू माँगे रंग की रंगाई मेरा जोबन गिरवी रख ले
तो तू साहेब मेरा महबूब-ए-इलाही!
-अमीर ख़ुसरौ
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Source by Qalandar