युगपथ -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 1

युगपथ -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 1 भारत गीत जय जन भारत, जन मन अभिमत, जन गण तंत्र विधाता ! गौरव भाल हिमालय उज्जवल हृदय हार गंगा जल, कटि विन्धयाचल, सिन्धु चरण तल महिमा शाश्वत गाता ! हरे खेत, लहरे नद निर्झर, जीवन शोभा उर्वर, विश्व कर्म रत कोटि बाहु …

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युगपथ -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 2

युगपथ -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 2 अमर स्पर्श खिल उठा हृदय, पा स्पर्श तुम्हारा अमृत अभय! खुल गए साधना के बंधन, संगीत बना, उर का रोदन, अब प्रीति द्रवित प्राणों का पण, सीमाएँ अमिट हुईं सब लय। क्यों रहे न जीवन में सुख दुख क्यों जन्म मृत्यु से चित्त …

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