ऋतु-सन्धि-युगधारा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun

ऋतु-सन्धि-युगधारा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun प्रतीक्षा की बहुत जोहा बाट जेठ बीता, हुई वर्षा नहीं, नभ यों ही रहा खल्वाट आज है आधाढ़ वदि षष्ठी उठा था जोर का तूफान उसके बाद सघन काली घन घटा से हो रहा आच्छन्न यह आकाश आज होगी, सजनि, वर्षा-हो रहा विश्वास हो रही …

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खाली नहीं और खाली-युगधारा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun

खाली नहीं और खाली-युगधारा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun मकान नहीं खाली है दूकान नहीं खाली है स्कूल नहीं खाली, खाली नहीं कॉलेज खाली नहीं टेबुल, खाली नहीं मेज खाली अस्पताल नहीं खाली है हाल नहीं खाली नहीं चेयर, खाली नहीं सीट खाली नहीं फुटपाथ, खाली नहीं स्ट्रीट खाली नहीं ट्राम, …

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भारतमाता-युगधारा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun

भारतमाता-युगधारा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun जय जय जय हे भारत माता! नभनिवासिनी जलनिवासिनी हरित भरित भूतल-निवासिनी गिरि-मरू-पारावारवासिनी नील-निविड कांतार वासिनी नगर वासिनी ग्रामवासिनी अमल-धवल हिमधामवासिनी जय जय जय हे भारतमाता!

बरफ पड़ी है-युगधारा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun

बरफ पड़ी है-युगधारा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun बरफ़ पड़ी है सर्वश्वेत पार्वती प्रकृति निस्तब्ध खड़ी है सजे-सजाए बंगले होंगे सौ दो सौ चाहे दो-एक हज़ार बस मुठ्ठी-भर लोगों द्वारा यह नगण्य श्रंगार देवदारूमय सहस्रबाहु चिर-तरूण हिमाचल कर सकता है क्यों कर अंगीकार चहल-पहल का नाम नहीं है बरफ़-बरफ़ है काम …

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भुस का पुतला-युगधारा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun

भुस का पुतला-युगधारा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun फैलाकर टांग उठाकर बाहें अकड़कर खड़ा हुआ भुस भरा पुतला कर रहा है निगरानी ककड़ी तरबूज की खीरा खरबूज की सो रहा होगा अपाहिज मालिक घर में निश्चिंत हो खेत के नगीच कोई मत आना हाथ मत लगाना प्रान जो प्रिय है तो …

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प्रेत का बयान-युगधारा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun

प्रेत का बयान-युगधारा -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun “ओ रे प्रेत -” कडककर बोले नरक के मालिक यमराज -“सच – सच बतला कैसे मरा तू ? भूख से , अकाल से ? बुखार कालाजार से ? पेचिस बदहजमी , प्लेग महामारी से ? कैसे मरा तू , सच -सच बतला ” …

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युगधारा नागार्जुन-नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun

युगधारा नागार्जुन-नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun बादल को घिरते देखा है अमल धवल गिरि के शिखरों पर, बादल को घिरते देखा है। छोटे-छोटे मोती जैसे उसके शीतल तुहिन कणों को, मानसरोवर के उन स्वर्णिम कमलों पर गिरते देखा है, बादल को घिरते देखा है। तुंग हिमालय के कंधों पर छोटी बड़ी …

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