यशोधरा-मैथिलीशरण गुप्त -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Maithilisharan Gupt Yashodhara Part 4

यशोधरा-मैथिलीशरण गुप्त -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Maithilisharan Gupt Yashodhara Part 4 राहुल-जननी 1 घुसा तिमिर अलकों में भाग, जाग, दु:खिनी के सुख, जाग! जागा नूतन गन्ध पवन में, उठ तू अपने राज-भवन में, जाग उठे खग वन-उपवन में, और खगों में कलरव-राग। जाग, दु:खिनी के सुख, जाग! तात! रात बीती वह काली, उजियाली ले …

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यशोधरा-मैथिलीशरण गुप्त -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Maithilisharan Gupt Yashodhara Part 2

यशोधरा-मैथिलीशरण गुप्त -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Maithilisharan Gupt Yashodhara Part 2 महाप्रजावती मैंने दूध पिला कर पाला । सोती छोड़ गया पर मुझको वह मेरा मतवाला ! कहाँ न जाने वह भटकेगा, किस झाड़ी में जा अटकेगा । हाय ! उसे कांटा खटकेगा, वह है भोला-भाला । मैंने दूध पिला कर पाला । निकले …

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यशोधरा (प्रस्तावना)-मैथिलीशरण गुप्त -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Maithilisharan Gupt Yashodhara

यशोधरा (प्रस्तावना)-मैथिलीशरण गुप्त -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Maithilisharan Gupt Yashodhara शुल्क भाई सियाराम शरण, तुम कहानियाँ लिखते-पढ़ते हो। सुनो, एक कहानी। सन्ध्या हो रही थी। किसी गाँव के एक कृषक गृहस्थ के चत्वर पर कोई हारा-थका पथिक अपनी पोटली रखकर बैठ गया और अपने दुपट्टे के छोर से व्यजन करने लगा। गृहस्थ ने घर …

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यशोधरा-मैथिलीशरण गुप्त -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Maithilisharan Gupt Yashodhara Part 1

यशोधरा-मैथिलीशरण गुप्त -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Maithilisharan Gupt Yashodhara Part 1 मंगलाचरण राम, तुम्हारे इसी धाम में नाम-रूप-गुण-लीला-लाभ, इसी देश में हमें जन्म दो, लो, प्रणाम हे नीरजनाभ । धन्य हमारा भूमि-भार भी, जिससे तुम अवतार धरो, भुक्ति-मुक्ति माँगें क्या तुमसे, हमें भक्ति दो, ओ अमिताभ ! सिद्धार्थ 1 घूम रहा है कैसा चक्र …

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