यशोधरा-मैथिलीशरण गुप्त -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Maithilisharan Gupt Yashodhara Part 4
यशोधरा-मैथिलीशरण गुप्त -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Maithilisharan Gupt Yashodhara Part 4 राहुल-जननी 1 घुसा तिमिर अलकों में भाग, जाग, दु:खिनी के सुख, जाग! जागा नूतन गन्ध पवन में, उठ तू अपने राज-भवन में, जाग उठे खग वन-उपवन में, और खगों में कलरव-राग। जाग, दु:खिनी के सुख, जाग! तात! रात बीती वह काली, उजियाली ले …