ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan

ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan सर मैलकम हेली के मल्‍फ़ूज़ात-ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan नवेदे-आज़ादी-ए-हिन्‍द -ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan  मोहब्बत-ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali …

Read more

सर मैलकम हेली के मल्‍फ़ूज़ात-ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan

सर मैलकम हेली के मल्‍फ़ूज़ात-ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan जनाबे-हज़रते-हेली को यह ग़म खाये जाता है न कर दे सर नगूं मश्रिक़ कहीं मग्रिब के परचम को छिड़ी आज़ादिए-हिन्‍दोस्‍तां की बहस कौंसिल में तो ज़ाहिर यूं किया हज़रत ने अपने इस छुपे ग़म को हमारी भी वही …

Read more

नवेदे-आज़ादी-ए-हिन्‍द -ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan

नवेदे-आज़ादी-ए-हिन्‍द -ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan   वह दिन आने को है आज़ाद जब हिन्‍दोस्‍तां होगा मुबारकबाद उसको दे रहा सारा जहां होगा अलम लहरा रहा होगा हमारा रायेसीना पर और ऊंचा सब निशानों से हमारा यह निशां होगा ज़मीं वालों के सर ख़म इसके आगे हो रहे …

Read more

 मोहब्बत-ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan

मोहब्बत-ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan कृष्ण आए कि दीं भर भर के वहदत के ख़ुमिस्ताँ से शराब-ए-मा’रिफ़त का रूह-परवर जाम हिन्दू को कृष्ण आए और उस बातिल-रुबा मक़्सद के साथ आए कि दुनिया बुत-परस्ती का न दे इल्ज़ाम हिन्दू को कृष्ण आए कि तलवारों की झंकारों में …

Read more

ख़ुमिस्तान-ए-अज़ल का साक़ी-ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan

ख़ुमिस्तान-ए-अज़ल का साक़ी-ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan पहुँचता है हर इक मय-कश के आगे दौर-ए-जाम उस का किसी को तिश्ना-लब रखता नहीं है लुत्फ़-ए-आम उस का गवाही दे रही है उस की यकताई पे ज़ात उस की दुई के नक़्श सब झूटे हैं सच्चा एक नाम उस …

Read more

चू की लफ़्ज़ी तहक़ीक़-ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan

चू की लफ़्ज़ी तहक़ीक़-ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan अश्नान करने घर से चले लाला-लाल-चंद और आगे आगे लाला के उन की बहू गई पूछा जो मैं ने लाला लल्लाइन कहाँ गईं नीची नज़र से कहने लगे वो भी चू गई मैं ने दिया जवाब उन्हें अज़-रह-ए-मज़ाक़ क्या …

Read more

सुख़नवरान-ए-अहद से ख़िताब-ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan

सुख़नवरान-ए-अहद से ख़िताब-ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan ऐ नुक्ता-वरान-ए-सुख़न-आरा-ओ-सुख़न-संज ऐ नग़्मा-गिरान-ए-चमनिस्तान-ए-मआफ़ी माना कि दिल-अफ़रोज़ है अफ़्साना-ए-अज़रा माना कि दिल-आवेज़ है सलमा की कहानी माना कि अगर छेड़ हसीनों से चली जाए कट जाएगा इस मश्ग़ले में अहद-ए-जवानी गरमाएगा ये हमहमा अफ़्सुर्दा दिलों को बढ़ जाएगी दरिया-ए-तबीअत की …

Read more

जन्म-अष्टमी-ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan

जन्म-अष्टमी-ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan वज़ीर-चंद ने पूछा ज़फ़र-अली-ख़ाँ से श्री-कृष्ण से क्या तुम को भी इरादत है कहा ये उस ने वो थे अपने वक़्त के हादी इसी लिए अदब उन का मिरी सआ’दत है फ़साद से उन्हें नफ़रत थी जो है मुझ को भी और …

Read more

इंक़लाब-ए-हिन्द-ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan

इंक़लाब-ए-हिन्द-ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan बारहा देखा है तू ने आसमाँ का इंक़लाब खोल आँख और देख अब हिन्दोस्ताँ का इंक़लाब मग़रिब ओ मशरिक़ नज़र आने लगे ज़ेर-ओ-ज़बर इंक़लाब-ए-हिन्द है सारे जहाँ का इंक़लाब कर रहा है क़स्र-आज़ादी की बुनियाद उस्तुवार फ़ितरत-ए-तिफ़्ल-ओ-ज़न-ओ-पीर-ओ-जवाँ का इंक़लाब सब्र वाले छा …

Read more

हिन्दोस्तान-ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan

हिन्दोस्तान-ज़फ़र अली ख़ाँ-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Zafar Ali Khan नाक़ूस से ग़रज़ है न मतलब अज़ाँ से है मुझ को अगर है इश्क़ तो हिन्दोस्ताँ से है तहज़ीब-ए-हिन्द का नहीं चश्मा अगर अज़ल ये मौज-ए-रंग-रंग फिर आई कहाँ से है ज़र्रे में गर तड़प है तो इस अर्ज़-ए-पाक से सूरज में …

Read more