साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji

साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji उपजन का अंग-साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji दया निर्वैरता का अंग -साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji सुन्दरी का अंग-साखी(दोहे)-संत दादू …

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उपजन का अंग-साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji

उपजन का अंग-साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji दादू नमो नमो निरंजनं, नमस्कार गुरु देवत:। वन्दनं सर्व साधावा, प्रणामं पारंगत:।1। दादू माया का गुण बल करे, आपा उपजे आइ। राजस तामस सात्विकी, मन चंचल ह्नै जाय।2। आपा नाहीं बल मिटे, त्रिविधा तिमिर नहिं होय। दादू यहु …

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दया निर्वैरता का अंग -साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji

दया निर्वैरता का अंग -साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji दादू नमो नमो निरंजनं, नमस्कार गुरु देवत:। वन्दनं सर्व साधावा, प्रणामं पारंगत:।1। आपा मेटे हरि भजे, तन-मन तजे विकार। निर्वैरी सब जीव सौं, दादू यहु मत सार।2। निर्वैरी निज आतमा, साधान का मत सार। दादू दूजा …

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सुन्दरी का अंग-साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji

सुन्दरी का अंग-साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji दादू नमो नमो निरंजनं, नमस्कार गुरु देवत:। वन्दनं सर्व साधावा, प्रणामं पारंगत:।1। आरतिवन्ती सुन्दरी, पल-पल चाहे पीव। दादू कारण कंत के, तालाबेली जीव।2। काहे न आवहु कंत घर, क्यों तुम रहे रिसाय। दादू सुन्दरि सेज पर, जन्म अमोलक …

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कस्तूरिया मृग का अंग -साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji

कस्तूरिया मृग का अंग -साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji दादू नमो नमो निरंजनं, नमस्कार गुरु देवत:। वन्दनं सर्व साधावा, प्रणामं पारंगत:।1। दादू घट कस्तूरी मृग के , भरमत फिरे उदास। अंतरगति जाणे नहीं, तातैं सूँघे घास।2। दादू सब घट में गोविन्द है, संग रहै हरि …

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निन्दा का अंग-साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji

निन्दा का अंग-साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji दादू नमो नमो निरंजनं, नमस्कार गुरु देवत:। वन्दनं सर्व साधावा, प्रणामं पारंगत:।1। साधु निर्मल मल नहीं, राम रमै सम भाय। दादू अवगुण काढ कर, जीव रसातल जाय।2। दादू जब ही साधु सताइये, तब ही ऊँधा पलट। आकाश धाँसे …

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निगुणा का अंग -साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji 

निगुणा का अंग -साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji दादू नमो नामो निरंजनं, नमस्कार गुरु देवत:। वन्दनं सर्व साधावा, प्रणामं पारंगत:।1। दादू चन्दन बावना, बसे बटाऊ आय। सुखदाई शीतल किये, तीन्यों ताप नशाय।2। काल कुहाड़ा हाथ ले, काटण लागा ढाय। ऐसा यहु संसार है, डाल मूल …

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विनती का अंग -साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji

विनती का अंग -साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji दादू नमो नमो निरंजनं, नमस्कार गुरु देवत:। वन्दनं सर्व साधावा, प्रणामं पारंगत:।1। दादू बहुत बुरा किया, तुम्हैं न करना रोष। साहिब समाई का धाणी, बन्दे को सब दोष।2। दादू बुरा-बुरा सब हम किया, सो मुख कह्या न …

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साक्षी भूत का अंग-साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji

साक्षी भूत का अंग-साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji दादू नमो नमो निरंजनं, नमस्कार गुरु देवत:। वन्दनं सर्व साधावा, प्रणामं पारंगत:।1। सब देखणहारा जगत् का, अंतर पूरे साखि। दादू साबित सो सही, दूजा और न राखि।2। माँही तै मुझ को कहै, अंतरयामी आप। दादू दूजा धांधा …

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बेली का अंग -साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji

बेली का अंग -साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji दादू नमो नमो निरंजनं, नमस्कार गुरु देवत:। वन्दनं सर्व साधावा, प्रणामं पारंगत।1। दादू अमृत रूपी नाम ले, आतम तत्तव हिं पोषे। सहजैं सहज समाधि में, धारणी जल शोषे।2। परसें तीनों लोक में, लिपत नहीं धाोखे। सो फल …

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