प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras

प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras  देर होती है नद को-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras देख मेरे भाई कलयुग आया-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras  पेड़ो से फूल निकलते-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras …

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 देर होती है नद को-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras

देर होती है नद को-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras देर होती है नद को, सागर से मिल जाने में, बूँद-बूँद व्यर्थ नही होता, सूरज की तप से सूख जाने में, कोटर से पंछी निकलता है, क्षितिज में समा जाने को, व्यर्थ नही करता वह जीवन, साहस की सीमा लाँघ …

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देख मेरे भाई कलयुग आया-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras

देख मेरे भाई कलयुग आया-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras देख मेरे भाई कलयुग आया इंसानो ने अपना मर्यादा भुलाया, अमीरो ने अपना राज चलाया, गरीबो को रोटी के लिये तरसाया, देख मेरे भाई कलयुग आया। नेताओ ने अपना राज चलाया, गरीबो को रोटी के लिये तरसाया, राजनीती का पाठ …

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 पेड़ो से फूल निकलते-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras

पेड़ो से फूल निकलते-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras पेड़ो से फूल निकलते, तितलियाँ उनपर मंडराते, भौरों को उनपर उड़ते, ख़ुशी से फूल को ऐठते, मैंने देखा है। लगी थी एकमात्र फूल पेड़ पर, खुशी से झूम रहा था पेड़ भी, पेड़ को इतराते, फूल को खिलखिलाते, मैंने देखा है। …

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खुले आसमाँ में आजादी के पंख-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras

खुले आसमाँ में आजादी के पंख-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras खुले आसमाँ में आजादी के पंख, फरफरा लेने दे मुझको, कठपुतली बने महीनो बीत गये, अब तो आकाश का साफा बांध, उड़ लेने दे मुझको खुले आसमाँ में आजादी के पंख फरफरा लेने दे मुझको, पेड़ों के झुनझुने, सुन …

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बंद हो पिँजरे मेँ हम-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras

बंद हो पिँजरे मेँ हम-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras बंद हो पिँजरे मेँ हम, आजादी के सपने जीते, अपनी मीठी स्वर से हम, इंसानो पर भी रौब जमा जाते, हम है गगन के वाशिंदे, कहलाते है हम परिंदे। मग्न हो अपने धुन में, आसमान मे हम उङते, बहती धारा …

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 बड़े बड़े इमारतों के बीच-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras

बड़े बड़े इमारतों के बीच-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras बड़े बड़े इमारतों के बीच, गुहार लगाती इक मरीज, मरीज किसी बीमारी का नहीं, गरीबी ही उसकी बीमारी सही, दिया उसे किसी ने न भीख, बड़े बड़े इमारतों के बीच। हाथ फैला वह लोगों से माँग रहा, किस्मत को अपने …

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चुभन से भरी-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras

चुभन से भरी-प्रशांत पारस-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Prashant Paras चुभन से भरी, अपनी दुनियाँ में मुग्ध, ह्रदय को सीतल करने के लिए, कुछ तुकबंद पंकितियों का सहारा लिए, चला जा रहा था, अचानक किसी ने पुकारा की, कितनी भरी है, तेरी आवाज़। यह आवाज़ किसी मानव का नहीं, बल्कि मेरे ही …

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