कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”

कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam” शब्द सृजन-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam” वेदना चंद्रमा की-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam” वृद्धाश्रम-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” …

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शब्द सृजन-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”

शब्द सृजन-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”   शब्द समर के हेतु बने हैं संधि-पत्र भी शब्दों का। शब्दों से विच्छेद हुए हैं प्रणय-पत्र भी शब्दों का। शब्दों से ही स्नेह हमारा रार हमारी शब्दों से। शब्दों से ही जीत हमारी हार हमारी शब्दों से। …

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वेदना चंद्रमा की-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”

वेदना चंद्रमा की-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”   कृष्ण होगया स्तीर्ण व्योम और, कालिममयी रजनी तन आयी, जब एकांत चंद्रमा ने फिर , वेदना सबको अपनी सुनाई।। असंख्य तारों के बीच मे, परित्यक्त मैं हो जाता हूँ, इसीलिए हर रजनी तुमको, अपनी वेदना सुनाता …

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वृद्धाश्रम-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”

वृद्धाश्रम-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”   मकरन्द बिना सुगंध बिना, क्या पुष्प पुष्प रह जाता है, पात जब तरु से करे पलायन, सूख के मृत होजाता है, भरत भूमि आदर्श बनी, संस्कार प्रतिष्ठा सम्मान की, निज संस्कृति ने हमको सिखाया, रक्षा करो वृद्धो के …

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अभिलाषा-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”

अभिलाषा-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”   अप्रतिम इस वृत्त पर प्रभु, आमरण जगती आशा है, हर हृदय तल में बसती जो, कोई न कोई अभिलाषा है। बालकाल से वृद्धान्त तक, मन संस्तुतियों का निकेतन है, हर व्यक्ति विशेष का आज प्रभु से, कोई न …

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मानव पहले तुम इंसान बनो-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”

मानव पहले तुम इंसान बनो-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”   विस्मित हो जन-जन नवाचार से, कुछ ऐसी तुम पहचान बनो, जाति, धर्म, मुद्रा, कहते क्या, तुम सर्वप्रथम इंसान बनो। तुम धर्मज्ञाता तुम कर्तव्यनिष्ठ, तुम आदर्शों के वंशज हो, क्यों घृणा आपस में रखते, तुम …

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प्रकृति की अद्भुत यात्रा-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”

प्रकृति की अद्भुत यात्रा-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”   सुनो मैंने एकटक होकर तुम्हें निहारा है रात की पहली गन्ध को तुझमें ही झारा है अनगिन तारों को चिट्ठियाँ सौंपी हैं शब्द साधे हैं, नाम पुकारा है और जो अविकार है, उसे ही निहारा …

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झोपड़ी महल को देती चुनौती-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”

झोपड़ी महल को देती चुनौती-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”   मॉल के बिल्कुल बगल में चाय की गुमटी निराली। महल को देती चुनौती झोपड़ी अब तक न हारी। आधुनिक तनया-तनय सब चिप्स, बर्गर खा रहे हैैं। हो रही है बोझ काया हाँफते से जा …

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सत्यमेव जयते-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”

सत्यमेव जयते-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”   सोम सरीखा नीर नदियों का, उत्कृष्टओं में उत्कृष्ट सकल, छह ऋतुओं भौतिकता से धनी, प्रेम बहे प्रतिक्षण अविरल, समावेश विविधताओं का, इतिहासों का भीषण नाद यह, वर्तमान का प्रतिनिधित्वकर्ता, तत्समता का यह पूजास्थल, लोकतांत्रिक गणतांत्रिक, यहाँ हर …

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हे प्रिये तुम अप्सरा के समान हो-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”

हे प्रिये तुम अप्सरा के समान हो-कविता-प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम” -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Praful Singh “Bechain Kalam”   [ सौंदर्यपूर्ण एवं उपमित शृंगारिक आद्योपांत रीतिकाल के श्रृंगार को छंदोत्सर्गों सहित चरितार्थ किया है.. आशान्वित हूँ कि आप सभी शुधी एवं गुणीजन अंतिम पंक्ति तक बने रहेंगे ] तुम्हारी काया की …

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