नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar

नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar कलयुग का आग़ाज़ !-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar इज़हारे मुहब्बत-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar बोझ-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar सच-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | …

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कलयुग का आग़ाज़ !-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar

कलयुग का आग़ाज़ !-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar   कैसा ये अंधकार है कैसा ये अनाचार है कैसा ये अहंकार है कैसा ये कु-संस्कार है कैसी ये अफ़रा-तफ़री है कैसी ये लूट-खसोट है कैसा ये भ्रष्टाचार है कैसा ये दुर्व्यवहार है घमंडियों की सभा है दुष्कर्मी का बोल-बाला है …

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इज़हारे मुहब्बत-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar

इज़हारे मुहब्बत-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar   वह आए पास बैठे नज़रें मिलाए मुस्कुराए और चल दिए हम इतने नादान निकले कि उनके मुस्कान को प्यार समझ बैठे आज जब पैर क़ब्र में है दम निकला जा रहा है साँस छूटी जा रही है सामने अंधकार बढ़ता जा रहा …

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बोझ-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar

बोझ-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar   हम पैदा ही क्यों हुए जिस दिन बीज पड़ा उसी दिन से मजदूर हो गए कर्जदार हो गए ज़ालिम इस दुनिया में पता ही नहीं चला कैसे हम जवान हो गए कठिनाइयों के बोझ से बचपन मे ही कंधे झुक गए कब बचपन …

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सच-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar

सच-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar   सच सब जगह बिकता है लेकिन बिकने के बाद वह झूठ हो जाता है झूठ कहीं नहीं बिकता है लेकिन बिकने के बाद सच हो जाता है सच हर कोई बेचना चाहता है लेकिन बेंच नहीं पाता झूठ कोई नहीं बेचना चाहता है …

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जनता-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar

जनता-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar   डर तो उनको भी लगता है सब कुछ तो हैं उनके पास सत्ता की ताक़त राजनीति की ताक़त कूटनीति की ताक़त और उससे भी बढ़कर धर्म की ताक़त जात-पात की ताक़त ऊँच-नीच की ताक़त बड़े-छोटे की ताक़त वो अपने आप को शिक्षित मानते …

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किसान-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar

किसान-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar   ग़रीब हूँ, गँवार हूँ अनपढ़ हूँ, अंजान हूँ मजबूर हूँ, लाचार हूँ बेचारा हूँ बेसहारा हूँ मेरा सिर्फ़ इतना पाप है मैं भी एक किसान हूँ मेरी कोई आन नहीं मेरा कोई मान नहीं मेरी कोई पहचान नहीं मेरा कोई सम्मान नहीं मेरा …

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मैं, तुम और हम-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar

मैं, तुम और हम-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar   जिसके लिए हम लड़े कटे मरे आज वो बंद है काश हम लड़े होते रोटी कपड़ा मकान के लिए काश हम लड़े होते स्वास्थ्य शिक्षा रोज़गार के लिए काश हम लड़े होते स्कूल कॉलेज अस्पताल के लिए फिर हम ज्यादा …

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सिंहासन-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar

सिंहासन-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar   भीड़ चीख़ रही है चिल्ला रही है शोर मचा रही है सिंहासन बेसुध है मदहोश है मगन है मस्त है आश्वस्त है शायद सिंहासन भूल गया है इसी चीख़ ने उसे सिंहासन दिया है