ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali

ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali हाए कैसी वो शाम होती है-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali हम दोस्तों के लुत्फ़-ओ-करम देखते रहे-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali सब कुछ सर-ए-बाज़ार जहाँ छोड़ गया है-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi …

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हाए कैसी वो शाम होती है-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali

हाए कैसी वो शाम होती है-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali हाए कैसी वो शाम होती है दास्ताँ जब तमाम होती है ये तो बातें हैं सिर्फ़ ज़ाहिद की कहीं मय भी हराम होती है शाम-ए-फ़ुर्क़त की उलझनें तौबा किस ग़ज़ब की ये शाम होती है इश्क़ में और …

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हम दोस्तों के लुत्फ़-ओ-करम देखते रहे-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali

हम दोस्तों के लुत्फ़-ओ-करम देखते रहे-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali हम दोस्तों के लुत्फ़-ओ-करम देखते रहे होते रहे जो दिल पे सितम देखते रहे ख़ामोश क़हक़हों में भी ग़म देखते रहे दुनिया न देख पाई जो हम देखते रहे अल्लाह-रे जोश-ए-इश्क़ कि उठती जिधर नज़र तुम को ही …

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सब कुछ सर-ए-बाज़ार जहाँ छोड़ गया है-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali

सब कुछ सर-ए-बाज़ार जहाँ छोड़ गया है-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali सब कुछ सर-ए-बाज़ार जहाँ छोड़ गया है ये कौन खुली अपनी दुकाँ छोड़ गया है जाते ही किसी के न वो नग़्मा न उजाला ख़ामोश चराग़ों का धुआँ छोड़ गया है वहशी तो गया ले के वो …

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ये बातें आज की कल जिस किताब में लिखना-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali

ये बातें आज की कल जिस किताब में लिखना-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali ये बातें आज की कल जिस किताब में लिखना तुम अपने जुर्म को मेरे हिसाब में लिखना हदीस-ए-दिल को क़लम से न आश्ना करना कहानियाँ ही हमेशा जवाब में लिखना मुझे समझने की कोशिश है …

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मुझ को मुआफ़ कीजिए रिंद-ए-ख़राब जान के-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali

मुझ को मुआफ़ कीजिए रिंद-ए-ख़राब जान के-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali मुझ को मुआफ़ कीजिए रिंद-ए-ख़राब जान के आँखों पे होंट रख दिए जाम-ए-शराब जान के हश्र में ऐ ख़ुदा न ले मुझ से हिसाब-ए-ख़ैर-ओ-शर मैं ने तो सब भुला दिया रात का ख़्वाब जान के वक़्त ने …

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बहुत ही दिल-नशीं आवाज़-ए-पा थी-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali

बहुत ही दिल-नशीं आवाज़-ए-पा थी-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali बहुत ही दिल-नशीं आवाज़-ए-पा थी न जाने तुम थे या बाद-ए-सबा थी बजा करती थीं क्या शहनाइयाँ सी ख़मोशी भी हमारी जब नवा थी वो दुश्मन ही सही यारो हमारा पर उस की जो अदा थी क्या अदा थी …

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पहले तो डर लगा मुझे ख़ुद अपनी चाप से-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali

पहले तो डर लगा मुझे ख़ुद अपनी चाप से-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali पहले तो डर लगा मुझे ख़ुद अपनी चाप से फिर रो दिया मैं मिल के गले अपने आप से देखा है हाँ उसे है वो कुछ मिलता जुलता सा मुतरिब की मीठी मीठी सुरीली अलाप …

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न मंदिर में सनम होते न मस्जिद में ख़ुदा होता-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali

न मंदिर में सनम होते न मस्जिद में ख़ुदा होता-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali न मंदिर में सनम होते न मस्जिद में ख़ुदा होता हमीं से ये तमाशा है न हम होते तो क्या होता न ऐसी मंज़िलें होतीं न ऐसा रास्ता होता सँभल कर हम ज़रा चलते …

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दुनिया कहीं जो बनती है मिटती ज़रूर है-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali

दुनिया कहीं जो बनती है मिटती ज़रूर है-ग़ज़लें-नौशाद अली(नौशाद लखनवी)-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Naushad Ali दुनिया कहीं जो बनती है मिटती ज़रूर है पर्दे के पीछे कोई न कोई ज़रूर है जाते हैं लोग जा के फिर आते नहीं कभी दीवार के उधर कोई बस्ती ज़रूर है मुमकिन नहीं कि दर्द-ए-मोहब्बत …

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