सूरज रे जलते रहना-गीत-कवि प्रदीप-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kavi Pradeep
सूरज रे जलते रहना-गीत-कवि प्रदीप-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kavi Pradeep जगत भर की रोशनी के लिये करोड़ों की ज़िंदगी के लिये सूरज रे जलते रहना सूरज रे जलते रहना … जगत कल्याण की खातिर तू जन्मा है तू जग के वास्ते हर दुःख उठा रे भले ही अंग तेरा भस्म हो …