आवहु भैणे तुसी मिलहु पिआरीआ-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

आवहु भैणे तुसी मिलहु पिआरीआ-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji आवहु भैणे तुसी मिलहु पिआरीआ ॥ जो मेरा प्रीतमु दसे तिस कै हउ वारीआ ॥ मिलि सतसंगति लधा हरि सजणु हउ सतिगुर विटहु घुमाईआ जीउ ॥१॥ जह जह देखा तह तह सुआमी ॥ तू घटि घटि …

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जिउ पसरी सूरज किरणि जोति-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

जिउ पसरी सूरज किरणि जोति-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji जिउ पसरी सूरज किरणि जोति ॥ तिउ घटि घटि रमईआ ओति पोति ॥१॥ एको हरि रविआ स्रब थाइ ॥ गुर सबदी मिलीऐ मेरी माइ ॥१॥ रहाउ ॥ घटि घटि अंतरि एको हरि सोइ ॥ गुरि मिलिऐ …

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पूरे गुर का हुकमु न मंनै-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

पूरे गुर का हुकमु न मंनै-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji पूरे गुर का हुकमु न मंनै ओहु मनमुखु अगिआनु मुठा बिखु माइआ ॥ ओसु अंदरि कूड़ु कूड़ो करि बुझै अणहोदे झगड़े दयि ओस दै गलि पाइआ ॥ ओहु गल फरोसी करे बहुतेरी ओस दा …

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जो निंदा करे सतिगुर पूरे की-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

जो निंदा करे सतिगुर पूरे की-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji जो निंदा करे सतिगुर पूरे की सु अउखा जग महि होइआ ॥ नरक घोरु दुख खूहु है ओथै पकड़ि ओहु ढोइआ ॥ कूक पुकार को न सुणे ओहु अउखा होइ होइ रोइआ ॥ ओनि …

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तपा न होवै अंद्रहु लोभी-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

तपा न होवै अंद्रहु लोभी-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji तपा न होवै अंद्रहु लोभी नित माइआ नो फिरै जजमालिआ ॥ अगो दे सदिआ सतै दी भिखिआ लए नाही पिछो दे पछुताइ कै आणि तपै पुतु विचि बहालिआ ॥ पंच लोग सभि हसण लगे तपा …

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जिउ जननी सुतु जणि पालती-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

जिउ जननी सुतु जणि पालती-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji जिउ जननी सुतु जणि पालती राखै नदरि मझारि ॥ अंतरि बाहरि मुखि दे गिरासु खिनु खिनु पोचारि ॥ तिउ सतिगुरु गुरसिख राखता हरि प्रीति पिआरि ॥१॥ मेरे राम हम बारिक हरि प्रभ के है इआणे ॥ …

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 रैणि दिनसु दुइ सदे पए-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

रैणि दिनसु दुइ सदे पए-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji रैणि दिनसु दुइ सदे पए ॥ मन हरि सिमरहु अंति सदा रखि लए ॥१॥ हरि हरि चेति सदा मन मेरे ॥ सभु आलसु दूख भंजि प्रभु पाइआ गुरमति गावहु गुण प्रभ केरे ॥१॥ रहाउ ॥ मनमुख …

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 हरि प्रभ का सभु खेतु है-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

हरि प्रभ का सभु खेतु है-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji हरि प्रभ का सभु खेतु है हरि आपि किरसाणी लाइआ ॥ गुरमुखि बखसि जमाईअनु मनमुखी मूलु गवाइआ ॥ सभु को बीजे आपणे भले नो हरि भावै सो खेतु जमाइआ ॥ गुरसिखी हरि अम्रितु बीजिआ …

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वडभागीआ सोहागणी-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

वडभागीआ सोहागणी-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji वडभागीआ सोहागणी जिना गुरमुखि मिलिआ हरि राइ ॥ अंतर जोति प्रगासीआ नानक नामि समाइ ॥2॥309॥

इहु मनूआ द्रिड़ु करि रखीऐ-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji

इहु मनूआ द्रिड़ु करि रखीऐ-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji इहु मनूआ द्रिड़ु करि रखीऐ गुरमुखि लाईऐ चितु ॥ किउ सासि गिरासि विसारीऐ बहदिआ उठदिआ नित ॥ मरण जीवण की चिंता गई इहु जीअड़ा हरि प्रभ वसि ॥ जिउ भावै तिउ रखु तू जन नानक …

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