भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji

भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji ग्यांन तिलक-भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji  योग चिंतामणि-भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji पद-भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji आरती-भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt …

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ग्यांन तिलक-भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji

ग्यांन तिलक-भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji ॐ आदि जुगादि पवन और पानी ब्रह्मा विष्णु महादेव जानी ॥ पाँच तत्त का करो निसेफ । उलटि दिष्टि आपै मैं देख ॥१॥ आप तेज धरणी आकासा । सकल पसारा पौन की साथा॥ पौनै आव पौनै जाय । पौन नाद धुनि गरजत रहै। …

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 योग चिंतामणि-भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji

योग चिंतामणि-भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji ॐ अकट बिकट रे भाई । काया (गढ़) चढा न जाई ॥ पछिम (दि) शा की घाटी। फौज खड़ी है ठाढी ॥१॥ जहाँ नाद-बिंदु की हाथी । सतगुर ले चल साथी॥ सतगुर साह बिराजै। नौबत नाम की बाजै ॥२॥ जहाँ अष्ट दल कमल …

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पद-भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji

पद-भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji पद तातैं ना कछू रे संसारा । मेरै रांम को नांव अधारा ॥टेक॥ गुड़ चींटा गुड़ षायी । गुड़ माहिं रही लपटायी ॥ गुड़ रती एक मीठा होई । पाछै दुष पावै सोई ॥ सुपनांतर राजा होइए। नांनां बिधि के सुष लहिए ॥ ऐसा …

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आरती-भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji

आरती-भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji आरति कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥ जाके बल गरजै महि काँपे । रोग सोग जाके सिमाँ न चांपे ॥ अंजनी-सुत महाबल-दायक । साधु संत पर सदा सहायक ॥ बांएँ भुजा सब असुर सँघारी । दहिन भुजा सब संत …

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पद-भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji

पद-भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji हरि बिन जन्म वृथा षोयो रे । कहा भयो अति मान बड़ाई, धन मद अंध मति सोयो रे । अति उतंग तरु देषि सुहायो; सैबल कुसुम सूवा सेयो रे ॥ सोई फल पुत्र कलत्र विषै सुष, अंति सीस धुनि धुनि रोयौ रे । सुमिरन …

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ग्यांन लीला-भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji

ग्यांन लीला-भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji मूरष तन धर कहा कमायौ । रांम भजन बिन जन्म गमायौ ॥ रांम भगति गत जांणी नाहीं । भन्दू भूलौ धंधा माहीं ॥१॥ मेरी मेरी करतो फिरियौ । हरि सुमिरण तो कबू न करियौ ॥ नारी सेती नेह लगायौ । कबहूं हिरदै रांम …

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 कत जाईऐ रे घर लागो रंगु-शब्द-भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji

कत जाईऐ रे घर लागो रंगु-शब्द-भक्त रामानन्द जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Ramanand Ji रामानंद जी घरु १ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ कत जाईऐ रे घर लागो रंगु ॥ मेरा चितु न चलै मनु भइओ पंगु ॥१॥ रहाउ ॥ एक दिवस मन भई उमंग ॥ घसि चंदन चोआ बहु सुगंध ॥ पूजन चाली …

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