विनय तथा भक्ति सूर सुखसागर-भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 3
विनय तथा भक्ति सूर सुखसागर-भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 3 भावी करी गोपाल की सब होइ । जो अपनौ पुरुषारथ मानत, अति झूठौ है सोइ । साधन, मंत्र, जंत्र, उद्यम, बल, ये सब डारौ धोइ । जो कछु लिखि राखी नँदनंदन, मेटि सकै नहिं कोइ । दुख-सुख, लाभ-अलाभ …