अष्टदश सर्ग-स्वर्गारोहण-छन्द : तिलोकी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,
अष्टदश सर्ग-स्वर्गारोहण-छन्द : तिलोकी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, शीत-काल था वाष्पमय बना व्योम था। अवनी-तल में था प्रभूत-कुहरा भरा॥ प्रकृति-वधूटी रही मलिन-वसना बनी। प्राची सकती थी न खोल मुँह मुसकुरा॥1॥ ऊषा आयी किन्तु विहँस पाई नहीं। राग-मयी हो बनी विरागमयी रही॥ विकस न पाया …