अष्टदश सर्ग-स्वर्गारोहण-छन्द : तिलोकी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

अष्टदश सर्ग-स्वर्गारोहण-छन्द : तिलोकी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, शीत-काल था वाष्पमय बना व्योम था। अवनी-तल में था प्रभूत-कुहरा भरा॥ प्रकृति-वधूटी रही मलिन-वसना बनी। प्राची सकती थी न खोल मुँह मुसकुरा॥1॥ ऊषा आयी किन्तु विहँस पाई नहीं। राग-मयी हो बनी विरागमयी रही॥ विकस न पाया …

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सप्तदश सर्ग-जन-स्थान-छन्द : तिलोकी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

सप्तदश सर्ग-जन-स्थान-छन्द : तिलोकी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, पहन हरित-परिधान प्रभूत-प्रफुल्ल हो। ऊँचे उठ जो रहे व्योम को चूमते॥ ऐसे बहुश:- विटप-वृन्द अवलोकते। जन-स्थान में रघुकुल-रवि थे घूमते॥1॥ थी सम्मुख कोसों तक फैली छबिमयी। विविध-तृणावलि-कुसुमावलि-लसिता-धरा॥ रंग-बिरंगी-ललित-लतिकायें तथा। जड़ी-बूटियों से था सारा-वन भरा॥2॥ दूर क्षितिज …

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षोडश सर्ग-शुभ सम्वाद-छन्द : तिलोकी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

षोडश सर्ग-शुभ सम्वाद-छन्द : तिलोकी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, दिनकर किरणें अब न आग थीं बरसती। अब न तप्त-तावा थी बनी वसुन्धरा॥ धूप जलाती थी न ज्वाल-माला-सदृश। वातावरण न था लू-लपटों से भरा॥1॥ प्रखर-कर-निकर को समेट कर शान्त बन। दग्ध-दिशाओं के दुख को था …

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पंचदश सर्ग-सुतवती सीता-छन्द : तिलोकी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

पंचदश सर्ग-सुतवती सीता-छन्द : तिलोकी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, परम-सरसता से प्रवाहिता सुरसरी। कल-कल रव से कलित-कीर्ति थीं गा रही॥ किसी अलौकिक-कीर्तिमान-लोकेश की। लहरें उठ थीं ललित-नृत्य दिखला रही॥1॥ अरुण-अरुणिमा उषा-रंगिणी-लालिमा॥ गगनांगण में खेल लोप हो चली थीं॥ रवि-किरणें अब थीं निज-कला दिखा रही। …

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चतुर्दश सर्ग-दाम्पत्य-दिव्यता-छन्द : तिलोकी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

चतुर्दश सर्ग-दाम्पत्य-दिव्यता-छन्द : तिलोकी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, प्रकृति-सुन्दरी रही दिव्य-वसना बनी। कुसुमाकर द्वारा कुसुमित कान्तार था॥ मंद मंद थी रही विहँसती दिग्वधू। फूलों के मिष समुत्फुल्ल संसार था॥1॥ मलयानिल बह मंद मंद सौरभ-बितर। वसुधातल को बहु-विमुग्ध था कर रहा॥ स्फूर्तिमयी-मत्तता-विकचता-रुचिरता। प्राणि मात्र अन्तस्तल …

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त्रयोदश सर्ग-जीवन-यात्रा-छन्द : तिलोकी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

त्रयोदश सर्ग-जीवन-यात्रा-छन्द : तिलोकी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, तपस्विनी-आश्रम के लिए विदेहजा। पुण्यमयी-पावन-प्रवृत्ति की पूर्ति थीं॥ तपस्विनी-गण की आदरमय-दृष्टि में। मानवता-ममता की महती-मूर्ति थीं॥1॥ ब्रह्मचर्य-रत वाल्मीकाश्रम-छात्रा-गण। तपोभूमि-तापस, विद्यालय-विबुध-जन॥ मूर्तिमती-देवी थे उनको मानते। भक्तिभाव-सुमनाजंलि द्वारा कर यजन॥2॥ अधिक-शिथिलता गर्भभार-जनिता रही। फिर भी परहित-रता सर्वदा वे …

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द्वादश सर्ग-नामकरण-संस्कार-छन्द : तिलोकी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

द्वादश सर्ग-नामकरण-संस्कार-छन्द : तिलोकी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, शान्ति-निकेतन के समीप ही सामने। जो देवालय था सुरपुर सा दिव्यतम॥ आज सुसज्जित हो वह सुमन-समूह से। बना हुआ है परम-कान्त ऋतुकान्त-सम॥1॥ ब्रह्मचारियों का दल उसमें बैठकर। मधुर-कंठ से वेद-ध्वनि है कर रहा॥ तपस्विनी सब दिव्य-गान …

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एकादश सर्ग-रिपुसूदनागमन-छन्द : सखी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

एकादश सर्ग-रिपुसूदनागमन-छन्द : सखी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, बादल थे नभ में छाये। बदला था रंग समय का॥ थी प्रकृति भरी करुणा में। कर उपचय मेघ-निचय का॥1॥ वे विविध-रूप धारण कर। नभ-तल में घूम रहे थे॥ गिरि के ऊँचे शिखरों को। गौरव से चूम …

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दशम सर्ग-तपस्विनी आश्रम-छन्द : चौपदे-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

दशम सर्ग-तपस्विनी आश्रम-छन्द : चौपदे-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, प्रकृति का नीलाम्बर उतरे। श्वेत-साड़ी उसने पाई॥ हटा घन-घूँघट शरदाभा। विहँसती महि में थी आई॥1॥ मलिनता दूर हुए तन की। दिशा थी बनी विकच-वदना॥ अधर में मंजु-नीलिमामय। था गगन-नवल-वितान तना॥2॥ चाँदनी छिटिक छिटिक छबि से। …

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नवम सर्ग-अवध धाम-छन्द : तिलोकी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

नवम सर्ग-अवध धाम-छन्द : तिलोकी-वैदेही वनवास-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’,-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, था संध्या का समय भवन मणिगण दमक। दीपक-पुंज समान जगमगा रहे थे॥ तोरण पर अति-मधुर-वाद्य था बज रहा। सौधों में स्वर सरस-स्रोत से बहे थे॥1॥ काली चादर ओढ़ रही थी यामिनी। जिसमें विपुल सुनहले बूटे …

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