रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar प्रथम अंक- उर्वशी -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar तृतीय अंक- उर्वशी -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar चतुर्थ अंक- उर्वशी -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar पंचम अंक- …

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राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah

राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah   खाली घर- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah कोर लग गयी- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah कोई सुर का सवार- राजेन्द्र केशवलाल शाह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajendra Keshavlal Shah कहाँ- …

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प्रथम अंक- उर्वशी -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar

प्रथम अंक- उर्वशी -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar प्रथम अंक प्रथम अंक आरम्भ साधारणोंअयमुभ्यो: प्रणयः स्मरस्य, तप्तें ताप्त्मयसा घटनाय योग्यम._ विक्रमोर्वशीयम राजा पुरुरवा की राजधानी, प्रतिष्ठानपुर के समीप एकांत पुष्प कानन; शुक्ल पक्ष की रात; नटी और सूत्रधार चाँदनी में प्रकृति की शोभा का पान कर रहे हैं। सूत्रधार …

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तृतीय अंक- उर्वशी -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar

तृतीय अंक- उर्वशी -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar परिशिष्ट -तृतीय अंक तृतीय अंक तृतीय अंक आरम्भ पुरुरवः ! पुनरस्तं परेहि, दुरापना वात इवाहमस्मि -ऋग्वेद हे पुरुरवा ! तुम अपने घर को लौट जाओ मैं वायु के सामान दुष्प्राप्य हूँ (गंधमादन पर्वत पर पुरुरवा और उर्वशी) पुरुरवा जब से हम-तुम …

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चतुर्थ अंक- उर्वशी -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar

चतुर्थ अंक- उर्वशी -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar चतुर्थ अंक “और अप्सरा संततियों का पालन कब करती है?” पुराणों में निम्नलिखित कथाएँ देखिए– शुकदेवजी का जन्म धृताची से, मत्स्यगन्धा का जन्म उपरिचर और अन्द्रिका से, प्रमद्वरा का जन्म विश्वावसु मुनि और मेनका से। राजा आग्नीध्र और पूर्वचिति, मुनीश्वर कंडु …

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पंचम अंक- उर्वशी -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar

पंचम अंक- उर्वशी -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar पंचम अंक पंचम अंकपंचम अंक आरम्भ अहमपि तव सूनावद्य विन्यस्य राज्यम् विचरित्मृग्यूथान्याश्रयिष्ये वनानि -विक्रमोर्वशीयम् क्रन्दंस देशदेशेषु बभ्राम नृपति: स्वयं। -देवीभागवत अवेत्य शापदोषं तं सोअथ गत्वा पुरुरवा हरेराराधनं चक्रे ततो बदरिकाश्रमे -कथासरित्सागर स्थान-पुरुरवा का राजप्रसाद [पुरुरवा, उर्वशी, महामात्य, राज-पंडित, राज-ज्योतिषी, अन्य सभासद, …

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पात्र परिचय- उर्वशी -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar

पात्र परिचय- उर्वशी -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar पुरुष पुरुरवा: वेदकालीन, प्रतिष्ठानपुर के विक्रमी ऐल राजा, नायक महर्षि च्यवन: प्रसिद्द; भृगुवंशी, वेदकालीन महर्षि सूत्रधार: नाटक का शास्त्रीय आयोजक, अनिवार्य पात्र कंचुकी: सभासद: प्रतिहारी: प्रारब्ध आदि आयु: पुरुरवा-उर्वशी का पुत्र महामात्य: पुरुरवा के मुख्य सचिव विश्व्मना: राज ज्योतिषी नारी नटी: …

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