अनामिका -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 16
अनामिका -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 16 मुक्ति तोड़ो, तोड़ो, तोड़ो कारा पत्थर, की निकलो फिर, गंगा-जल-धारा! गृह-गृह की पार्वती! पुनः सत्य-सुन्दर-शिव को सँवारती उर-उर की बनो आरती!– भ्रान्तों की निश्चल ध्रुवतारा!– तोड़ो, तोड़ो, तोड़ो कारा! खुला आसमान (गीत) बहुत दिनों बाद खुला आसमान! निकली है धूप, खुश हुआ …