अनामिका -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 16

अनामिका -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 16 मुक्ति तोड़ो, तोड़ो, तोड़ो कारा पत्थर, की निकलो फिर, गंगा-जल-धारा! गृह-गृह की पार्वती! पुनः सत्य-सुन्दर-शिव को सँवारती उर-उर की बनो आरती!– भ्रान्तों की निश्चल ध्रुवतारा!– तोड़ो, तोड़ो, तोड़ो कारा! खुला आसमान (गीत) बहुत दिनों बाद खुला आसमान! निकली है धूप, खुश हुआ …

Read more

अर्चना -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 1

अर्चना -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 1 भव अर्णव की तरणी तरुणा भव-अर्णव की तरुणी तरुणा । बरसीं तुम नयनों से करुणा । हार हारकर भी जो जीता,– सत्य तुम्हारी गाई गीता,– हुईं असित जीवन की सीता, दाव-दहन की श्रावण-वरुणा । काटे कटी नहीं जो कारा उसकी हुईं मुक्ति …

Read more

अनामिका -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 1

अनामिका -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 1 गीत जैसे हम हैं वैसे ही रहें, लिये हाथ एक दूसरे का अतिशय सुख के सागर में बहें। मुदें पलक, केवल देखें उर में,- सुनें सब कथा परिमल-सुर में, जो चाहें, कहें वे, कहें। वहाँ एक दृष्टि से अशेष प्रणय देख रहा …

Read more

अनामिका -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 17

अनामिका -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 17    किसान की नयी बहू की आँखें नहीं जानती जो अपने को खिली हुई– विश्व-विभव से मिली हुई,– नहीं जानती सम्राज्ञी अपने को,– नहीं कर सकीं सत्य कभी सपने को, वे किसान की नयी बहू की आँखें ज्यों हरीतिमा में बैठे दो …

Read more

अर्चना -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 2

अर्चना -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 2 शिविर की शर्वरी शिविर की शर्वरी हिंस्र पशुओं भरी। ऐसी दशा विश्व की विमल लोचनों देखी, जगा त्रास, हृदय संकोचनों कांपा कि नाची निराशा दिगम्बरी। मातः, किरण हाथ प्रातः बढ़ाया कि भय के हृदय से पकड़कर छुड़ाया, चपलता पर मिली अपल थल …

Read more

अनामिका -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 2

अनामिका -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 2 मित्र के प्रति 1 कहते हो, ‘‘नीरस यह बन्द करो गान- कहाँ छन्द, कहाँ भाव, कहाँ यहाँ प्राण ? था सर प्राचीन सरस, सारस-हँसों से हँस; वारिज-वारिज में बस रहा विवश प्यार; जल-तरंग ध्वनि; कलकल बजा तट-मृदंग सदल; पैंगें भर पवन कुशल …

Read more

अनामिका -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 18

अनामिका -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 18 राम की शक्ति पूजा रवि हुआ अस्त; ज्योति के पत्र पर लिखा अमर रह गया राम-रावण का अपराजेय समर आज का तीक्ष्ण शर-विधृत-क्षिप्रकर, वेग-प्रखर, शतशेलसम्वरणशील, नील नभगर्ज्जित-स्वर, प्रतिपल – परिवर्तित – व्यूह – भेद कौशल समूह राक्षस – विरुद्ध प्रत्यूह,-क्रुद्ध – कपि …

Read more

अर्चना -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 4

अर्चना -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 4 अलि की गूँज चली द्रुम कुँजों अलि की गूँज चली द्रुम कुँजों। मधु के फूटे अधर-अधर धर। भरकर मुदे प्रथम गुंजित-स्वर छाया के प्राणों के ऊपर, पीली ज्वाल पुंज की पुंजों। उल्टी-सीधी बात सँवरकर काटे आये हाथ उतरकर, बैठे साहस के आसन …

Read more

अनामिका -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 3

अनामिका -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 3 दान वासन्ती की गोद में तरुण, सोहता स्वस्थ-मुख बालारुण; चुम्बित, सस्मित, कुंचित, कोमल तरुणियों सदृश किरणें चंचल; किसलयों के अधर यौवन-मद रक्ताभ; मज्जु उड़ते षट्पद। खुलती कलियों से कलियों पर नव आशा–नवल स्पन्द भर भर; व्यंजित सुख का जो मधु-गुंजन वह पुंजीकृत …

Read more

अनामिका -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 20

अनामिका -सूर्यकांत त्रिपाठी निराला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Suryakant Tripathi Nirala Part 20 नारायण मिलें हँस अन्त में याद है वह हरित दिन बढ़ रहा था ज्योति के जब सामने मैं देखता दूर-विस्तॄत धूम्र-धूसर पथ भविष्यत का विपुल आलोचनाओं से जटिल तनु-तन्तुओं सा सरल-वक्र, कठोर-कोमल हास सा, गम्य-दुर्गम मुख-बहुल नद-सा भरा। थक गई थी कल्पना …

Read more