न्यौता और चुनौती -शैलेन्द्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shailendra Part 1
न्यौता और चुनौती -शैलेन्द्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shailendra Part 1 यदि मैं कहूं यदि मैं कहूं कि तुम बिन मानिनि व्यर्थ ज़िन्दगी होगी मेरी, नहीं हंसेगा चांद हमेशा बनी रहेगी घनी अंधेरी– बोलो, तुम विश्वास करोगी ? यदि मैं कहूं कि हे मायाविनि तुमने तन में प्राण भरा है, और तुम्हीं ने क्रूर …