संत रविदास जी( रैदास जी)-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji

संत रविदास जी( रैदास जी)-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji भगत रविदास नूं शरधांजली-पंजाबी कविता-संत रविदास जी( रैदास जी) पर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Poems भगत रविदास नूं-पंजाबी कविता-संत रविदास जी( रैदास जी) पर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Poems सच्च दा गीत-पंजाबी कविता-संत रविदास जी( …

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भगत रविदास नूं शरधांजली-पंजाबी कविता-संत रविदास जी( रैदास जी) पर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Poems

भगत रविदास नूं शरधांजली-पंजाबी कविता-संत रविदास जी( रैदास जी) पर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Poems चोजां वाल्या गुरू रविदास जीओ, तैनूं शरधा दे फुल्ल चड़्हाउन लग्गां । तेरी याद विच बैठके दो घड़ियां, इक्क दो प्यार दे हंझू वहाउन लग्गां । तेरी सोहनी तसवीर ‘ते नीझ ला के, दरशन रज्ज के …

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भगत रविदास नूं-पंजाबी कविता-संत रविदास जी( रैदास जी) पर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Poems

भगत रविदास नूं-पंजाबी कविता-संत रविदास जी( रैदास जी) पर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Poems धुर की बाणीएं ! दिलां दीए राणीए नीं ! तेरे मूंह लगाम ना रहन देना । जिन्नी बानी है किरत दे फलसफ़े दी, नाले उहनूं बेनाम ना रहन देना । इक्को बाप ते इक्को दे पुत्त सारे, …

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सच्च दा गीत-पंजाबी कविता-संत रविदास जी( रैदास जी) पर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Poems

सच्च दा गीत-पंजाबी कविता-संत रविदास जी( रैदास जी) पर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Poems धरती दी अक्ख जद रोयी सी तूं सच्च दा दीवा बाल दित्ता पायआ ‘नेर पाखंडियां सी एथे तूं तरक दा राह सी भाल दित्ता तेरी बेगमपुरा ही मंज़िल सी ताहीउं उसतत करे जहान सारा तेरी बानी नूं …

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 नहाते त्रिकाल रोज पंडित अचारी बड़े (पलटू दास जी)कविता-संत रविदास जी( रैदास जी) पर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Poems

नहाते त्रिकाल रोज पंडित अचारी बड़े (पलटू दास जी)कविता-संत रविदास जी( रैदास जी) पर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Poems नहाते त्रिकाल रोज पंडित अचारी बड़े सदा पट बसतर खूब अंगन लगाई है । पूजा नैवेद आरती करते हम विधि-विधान चंदन औ तुलसी भली-भाँति से चढ़ाई है । हारे हम कुलीन सब …

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सन्त कवि रविदास जी के प्रति (सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला)कविता-संत रविदास जी( रैदास जी) पर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Poems

सन्त कवि रविदास जी के प्रति (सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला)कविता-संत रविदास जी( रैदास जी) पर -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Poems ज्ञान के आकार मुनीश्वर थे परम धर्म के ध्वज, हुए उनमें अन्यतम, पूज्य अग्रज भक्त कवियों के, प्रखर कल्पना की किरण नीरज पर सुघर पड़ी ज्यों अंगड़ाइयाँ लेकर खड़ी हो गयी कविता …

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पोथी -संत रविदास जी( रैदास जी)-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Shabd

पोथी -संत रविदास जी( रैदास जी)-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Shabd   एक बार रविदास ज्ञानी, कहन लगे सुनो अटल कहानी। कलयुग बात साँच अस होई, बीते सहस्र पाँच दस होई। भरमावे सब स्वार्थ के काजा, बेटी बेंच तजे कुल लाजा। नशा दिखावे घर में पूरा, माता-बहन का पकड़ें जूड़ा। अण्डा मांस …

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शब्द -संत रविदास जी( रैदास जी)-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Shabd Part 4

शब्द -संत रविदास जी( रैदास जी)-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Shabd Part 4  जे ओहु अठसठि तीर्थ न्हावै जे ओहु अठसठि तीर्थ न्हावै ॥ जे ओहु दुआदस सिला पूजावै ॥ जे ओहु कूप तटा देवावै ॥ करै निंद सभ बिरथा जावै ॥1॥ साध का निंदकु कैसे तरै ॥ सरपर जानहु नरक ही …

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शब्द -संत रविदास जी( रैदास जी)-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Shabd Part 3

शब्द -संत रविदास जी( रैदास जी)-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Shabd Part 3 चमरटा गांठि न जनई चमरटा गांठि न जनई ॥ लोगु गठावै पनही ॥1॥ रहाउ ॥ आर नही जिह तोपउ ॥ नही रांबी ठाउ रोपउ ॥1॥ लोगु गंठि गंठि खरा बिगूचा ॥ हउ बिनु गांठे जाइ पहूचा ॥2॥ रविदासु जपै …

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शब्द -संत रविदास जी( रैदास जी)-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Shabd Part 2

शब्द -संत रविदास जी( रैदास जी)-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sant Ravidas Ji Shabd Part 2 म्रिग मीन भ्रिंग पतंग कुंचर एक दोख बिनास म्रिग मीन भ्रिंग पतंग कुंचर एक दोख बिनास ॥ पंच दोख असाध जा महि ता की केतक आस ॥1॥ माधो अबिदिआ हित कीन ॥ बिबेक दीप मलीन ॥1॥ रहाउ ॥ त्रिगद …

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