पंकज पुण्डीर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pankaj Pundir

पंकज पुण्डीर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pankaj Pundir  सारा शहर अपना किये बैठे हो-पंकज पुण्डीर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pankaj Pundir ऊँची इमारतें और एक दूसरा शहर देखा -पंकज पुण्डीर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pankaj Pundir अब क्या नहीं देखता कोई मुझे चुनने से पहले-पंकज पुण्डीर-Hindi Poetry-हिंदी …

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 सारा शहर अपना किये बैठे हो-पंकज पुण्डीर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pankaj Pundir

सारा शहर अपना किये बैठे हो-पंकज पुण्डीर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pankaj Pundir सारा शहर अपना किये बैठे हो, कौन था, किससे खफ़ा बैठे हो? सब शरीफ हैं, तुम ही ख़राब हो, महफ़िल में किताब लिए बैठे हो? हमारे सारे राज़ बेपर्दा हैं, सच है, लास्ट-सीन जो छुपाये बैठे हो? इश्क़ ने …

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ऊँची इमारतें और एक दूसरा शहर देखा -पंकज पुण्डीर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pankaj Pundir

ऊँची इमारतें और एक दूसरा शहर देखा -पंकज पुण्डीर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pankaj Pundir   ऊँची इमारतें और एक दूसरा शहर देखा, जब भी खिड़की से मैंने अपना शहर देखा, शिखरों पे फैली है सूरज की मध्यम-लाली, यूं विषम तलों में छाँव का सर्द कहर देखा, गुज़रा दौर है आवारगी आज की …

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अब क्या नहीं देखता कोई मुझे चुनने से पहले-पंकज पुण्डीर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pankaj Pundir

अब क्या नहीं देखता कोई मुझे चुनने से पहले-पंकज पुण्डीर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pankaj Pundir अब क्या नहीं देखता कोई मुझे चुनने से पहले, जो बचपन में हो गयीं वो यारियाँ अच्छी थीं. यक़ीनन वो परेशां है, किस गुनाह की सज़ा दे दी, वो इंसान भी ठीक था उसकी बातें भी …

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ज़िन्दगी बयां-आसमां सी ही पसंद मुझे-पंकज पुण्डीर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pankaj Pundir

ज़िन्दगी बयां-आसमां सी ही पसंद मुझे-पंकज पुण्डीर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pankaj Pundir ज़िन्दगी बयां-आसमां सी ही पसंद मुझे, अक्सर देखी है धूल बंद किताबों पे मैंने, धधक रही थी जो बस्ती बस्ती सालों से, लो फैसला मिल गया, कर दी वो नार सुपुर्द-ए-समंदर मैंने, खिड़कियाँ बंद ही रख ले के माहौल …

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चेतन प्रकाश-पंकज पुण्डीर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pankaj Pundir

चेतन प्रकाश-पंकज पुण्डीर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pankaj Pundir पूर्व को बिसरा के, उत्तर से दक्षिण, दक्षिण से पश्चिम फिर ओर पश्चिम, उत्तरों की खोज़ में भटक रहा था मन । चेतन हुआ..हुआ प्रकाश.. क्या बिछड़ गया जो खोजते हो? क्यूँ दीप लिये तुम दीपक को ढूंढते हो? स्मरण करो क्या नही …

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