दोहे-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri 

दोहे-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri नया घाव है प्रेम का जो चमके दिन-रात होनहार बिरवान के चिकने-चिकने पात यही जगत की रीत है, यही जगत की नीत मन के हारे हार है, मन के जीते जीत जो न मिटे ऐसा नहीं कोई भी संजोग होता आया है सदा मिलन …

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रुबाईयाँरुबाईयाँ-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri

रुबाईयाँरुबाईयाँ-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri अफ़्लाक पे जब परचम-ए-शब लहराया साक़ी ने भरा साग़र-ए-मह छलकाया कुछ सोच के कुछ देर तअम्मुल कर के उस ने भी ज़रा पर्दा-ए-रुख़ सरकाया अफ़्सुर्दा फ़ज़ा पे जैसे छाया हो हिरास दुनिया को कोई हवा भी आती नहीं रास डूबी जाती हो जैसे नब्ज़-ए-कौनैन …

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हिण्डोला-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri 

हिण्डोला-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri दयार-ए-हिन्द था गहवारा याद है हमदम बहुत ज़माना हुआ किस के किस के बचपन का इसी ज़मीन पे खेला है राम का बचपन इसी ज़मीन पे उन नन्हे नन्हे हाथों ने किसी समय में धनुष-बान को सँभाला था इसी दयार ने देखी है कृष्ण …

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अपने ग़म का मुझे कहाँ ग़म है-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri

अपने ग़म का मुझे कहाँ ग़म है-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri अपने ग़म का मुझे कहाँ ग़म है ऐ कि तेरी ख़ुशी मुक़द्दम है उस के शैतान को कहाँ तौफ़ीक़ इश्क़ करना गुनाह-ए-आदम है इक तड़प मौज-ए-तह-नशीं की तरह ज़िंदगी की बिना-ए-मोहकम है ये भी नज़्म-ए-हयात है कोई …

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होकर अयाँ वो ख़ुद को छुपाये हुए-से हैं-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri

होकर अयाँ वो ख़ुद को छुपाये हुए-से हैं-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri होकर अयाँ वो ख़ुद को छुपाये हुए-से हैं अहले-नज़र ये चोट भी खाये हुए-से हैं वो तूर हो कि हश्रे-दिल अफ़्सुर्दगाने-इश्क हर अंजुमन में आग लगाये-हुए-से हैं सुब्हे-अज़ल को यूँ ही ज़रा मिल गयी थी आंख …

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 हुस्न का जादू जगाए-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri

हुस्न का जादू जगाए-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri हुस्न का जादू जगाए इक ज़माना हो गया ऐ सुकूते-शामे-ग़म फिर छेड़ उन आँखों की बात ज़िन्दगी को ज़िन्दगी करना कोई आसाँ न था हज़्म करके ज़हर को करना पड़ा आबे-हयात जा मिली है मौत से आज आदमी की बेहिसी …

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 हिज़ाबों में भी तू नुमायूँ नुमायूँ-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri

हिज़ाबों में भी तू नुमायूँ नुमायूँ-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri हिज़ाबों में भी तू नुमायूँ नुमायूँ फरोज़ाँ फरोज़ाँ दरख्शाँ दरख्शाँ तेरे जुल्फ-ओ-रुख़ का बादल ढूंढता हूँ शबिस्ताँ शबिस्ताँ चाराघाँ चाराघाँ ख़त-ओ-ख़याल की तेरे परछाइयाँ हैं खयाबाँ खयाबाँ गुलिस्ताँ गुलिस्ताँ जुनूँ-ए-मुहब्बत उन आँखों की वहशत बयाबाँ बयाबाँ गज़लाँ गज़लाँ …

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इश्क़ की मायूसियों में सोज़-ए-पिन्हाँ कुछ नहीं-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri

इश्क़ की मायूसियों में सोज़-ए-पिन्हाँ कुछ नहीं-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri इश्क़ की मायूसियों में सोज़-ए-पिन्हाँ कुछ नहीं इस हवा में ये चराग़-ए-ज़ेर-ए-दामाँ कुछ नहीं क्या है देखो हसरत-ए-सैर-ए-गुलिस्ताँ कुछ नहीं कुछ नहीं ऐ सकिनान-ए-कुंज-ए-ज़िंदाँ कुछ नहीं इश्क़ की है ख़ुद-नुमाई इश्क़ की आशुफ़्तगी रू-ए-ताबाँ कुछ नहीं ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ …

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सोजें-पिनहाँ हो, चश्मे-पुरनम हो-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri

सोजें-पिनहाँ हो, चश्मे-पुरनम हो-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri सोज़े-पिनहाँ हो,चश्मे-पुरनम हो दिल में अच्छा-बुरा कोई ग़म हो फिर से तरतीब दें ज़माने को ऐ ग़में ज़िन्दगी मुनज़्ज़म हो इन्किलाब आ ही जाएगा इक रोज़ और नज़्में-हयात बरहम हो ताड़ लेते हैं हम इशारा-ए-चश्म और मुबहम हो, और मुबहम …

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 फरिश्तों और देवताओं का भी-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri

फरिश्तों और देवताओं का भी-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri फ़रिश्तों और देवताओं का भी, जहाँ से दुश्वार था गुज़रना हयात कोसों निकल गई है, तेरी निगाहों के साए-साए हज़ार हो इल्मी-फ़न में यकता, अगर न हो इश्क आदमी में न एक जर्रे का राज़ समझे, न एक क़तरे …

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