धनासरी बाणी भगतां की त्रिलोचन ੴ सतिगुर प्रसादि-शब्द -भक्त त्रिलोचन जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Bhakt Trilochan Ji

धनासरी बाणी भगतां की त्रिलोचन ੴ सतिगुर प्रसादि-शब्द -भक्त त्रिलोचन जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Bhakt Trilochan Ji नाराइण निंदसि काइ भूली गवारी ॥ दुक्रितु सुक्रितु थारो करमु री ॥१॥ रहाउ ॥ संकरा मसतकि बसता सुरसरी इसनान रे ॥ कुल जन मधे मिल्यि​ो सारग पान रे ॥ करम करि कलंकु मफीटसि री ॥१॥ …

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गूजरी-शब्द -भक्त त्रिलोचन जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Bhakt Trilochan Ji

गूजरी-शब्द -भक्त त्रिलोचन जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Bhakt Trilochan Ji अंति कालि जो लछमी सिमरै ऐसी चिंता महि जे मरै ॥ सरप जोनि वलि वलि अउतरै ॥१॥ अरी बाई गोबिद नामु मति बीसरै ॥ रहाउ ॥ अंति कालि जो इसत्री सिमरै ऐसी चिंता महि जे मरै ॥ बेसवा जोनि वलि वलि अउतरै …

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गूजरी स्री त्रिलोचन जीउ के पदे घरु १ ੴ सतिगुर प्रसादि-शब्द -भक्त त्रिलोचन जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Bhakt Trilochan Ji

गूजरी स्री त्रिलोचन जीउ के पदे घरु १ ੴ सतिगुर प्रसादि-शब्द -भक्त त्रिलोचन जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Bhakt Trilochan Ji अंतरु मलि निरमलु नही कीना बाहरि भेख उदासी ॥ हिरदै कमलु घटि ब्रहमु न चीन्हा काहे भइआ संनिआसी ॥१॥ भरमे भूली रे जै चंदा ॥ नही नही चीन्हिआ परमानंदा ॥१॥ रहाउ ॥ …

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सिरीरागु त्रिलोचन का-शब्द -भक्त त्रिलोचन जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Bhakt Trilochan Ji

सिरीरागु त्रिलोचन का-शब्द -भक्त त्रिलोचन जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Bhakt Trilochan Ji माइआ मोहु मनि आगलड़ा प्राणी जरा मरणु भउ विसरि गइआ ॥ कुट्मबु देखि बिगसहि कमला जिउ पर घरि जोहहि कपट नरा ॥१॥ दूड़ा आइओहि जमहि तणा ॥ तिन आगलड़ै मै रहणु न जाइ ॥ कोई कोई साजणु आइ कहै ॥ …

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