त्रिवेणी–त्रिवेणी -गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar

त्रिवेणी–त्रिवेणी -गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar 1. उड़ के जाते हुए पंछी ने बस इतना ही देखा देर तक हाथ हिलती रही वह शाख़ फ़िज़ा में अलविदा कहने को ? या पास बुलाने के लिए ? 2. क्या पता कब कहाँ मारेगी ? बस कि मैं ज़िंदगी से डरता हूँ मौत …

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बोस्की के लिए-त्रिवेणी -गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar 

बोस्की के लिए-त्रिवेणी -गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar कुछ ख़्वाबों के ख़त इन में , कुछ चाँद के आईने , सूरज की शुआएँ हैं नज़मों के लिफाफ़ों में कुछ मेरे तजुर्बे हैं, कुछ मेरी दुआएँ हैं निकलोगे सफ़र पर जब यह साथ में रख लेना, शायद कहीं काम आएँ

त्रिवेणी बह निकली-त्रिवेणी -गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar 

त्रिवेणी बह निकली-त्रिवेणी -गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar शुरू शुरू में तो जब यह फॉर्म बनाई थी, तो पता नहीं था यह किस संगम तक पहुँचेगी – त्रिवेणी नाम इसीलिए दिया था कि पहले दो मिसरे, गंगा-जमुना की तरह मिलते हैं और एक ख़्याल, एक शेर को मुकम्मल करते हैं लेकिन …

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