त्रिवेणी–त्रिवेणी -गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar
त्रिवेणी–त्रिवेणी -गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar 1. उड़ के जाते हुए पंछी ने बस इतना ही देखा देर तक हाथ हिलती रही वह शाख़ फ़िज़ा में अलविदा कहने को ? या पास बुलाने के लिए ? 2. क्या पता कब कहाँ मारेगी ? बस कि मैं ज़िंदगी से डरता हूँ मौत …