त्रिभंगिमा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 3

त्रिभंगिमा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 3 जाल समेटा जाल-समेटा करने में भी समय लगा करता है, माझी, मोह मछलियों का अब छोड़ । सिमट गई किरणें सूरज की, सिमटीं पंखुरियां पंकज की, दिवस चला छिति से मुंह मोड़ । तिमिर उतरता है अंबर से, एक पुकार उठी …

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त्रिभंगिमा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 2

त्रिभंगिमा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 2 नील परी सीपी में नील-परी सागर तरें, सीपी में बंसी उस पार बजी, नयनों की नाव सजी, पलकों की पालें उसासें भरें, सीपी में अंधड़ आकाश चढ़ा, झोंकों का जोर बढ़ा, शोर बढ़ा,बादल औ’बिजली लड़े, सीपी में सीपी में नील-परी सागर …

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त्रिभंगिमा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 1

त्रिभंगिमा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 1 पगला मल्लाह (उत्तरप्रदेश की एक लोकधुन पर आधारित) डोंगा डोले, नित गंग जमुन के तीर, डोंगा डोले आया डोला, उड़न खटोला, एक परी पर्दे से निकली पहने पंचरंग वीर डोंगा डोले, नित गंग जमुन के तीर, डोंगा डोले आँखे टक-टक, छाती …

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