त्रिभंगिमा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 3
त्रिभंगिमा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 3 जाल समेटा जाल-समेटा करने में भी समय लगा करता है, माझी, मोह मछलियों का अब छोड़ । सिमट गई किरणें सूरज की, सिमटीं पंखुरियां पंकज की, दिवस चला छिति से मुंह मोड़ । तिमिर उतरता है अंबर से, एक पुकार उठी …