प्यासा दिन-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

प्यासा दिन-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   खाली कासा लेकर आयेगा कल का प्यासा दिन हर दिन की तरह सूनी-सूनी आंखों देखकर उसे रह जाता हूं हर दिन उदास और एकरस किसी जलाशय की तरह हर दिन सह जाता हूं उसकी प्यास मेरी तरंगें तो उसे उठकर भर …

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कल्पना और कामना-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

कल्पना और कामना-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   औपान्सिकता अछूता प्यार घर में खुशी का पारावार देश में शांति दोस्तों से सद्भावना सारी ये चीज़ें एक के बाद एक कल्पना और कामना कामना और कल्पना !  

तुम नापो तौलो-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

तुम नापो तौलो-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   तुम नापो तुम तौलो क्योंकि तुमको इसका नाद है हर चीज तुम्हें नाप और तौल के हिसाब से याद है तुम नापो और तौलो चाहो तो मुझे भी मगर उदास मत हो जाना अगर मैं तुम्हारे किसी भी वाट से …

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एकाध-बार-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

एकाध-बार-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   जैसे रोम खड़े हो जाते हैं सुख में या भय में बड़े हो जाते हैं वैसे कई बार अनसुने हल्के स्वर अन बोले शब्द अनाहत ध्वनियां अनुभव की शुन्यता में शायद कई-वार कहना ग़लत है बदल कर कहता हूँ एक आध बार …

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मैं आज-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

मैं आज-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   आज मैं सूरज हूं सदियो से नींद का मारा रात की गोद में सिर रखना चाहता हूं कभी नही हुई कोई भी रात मेरी मगर हर बात कभी-न-कभी हो जाती है आज रात मेरी हो जायेगी और सो जायेगी वह लेकर …

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हमदम सूरज-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

हमदम सूरज-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   हम दो थे मगर फिर नीबू की तरह पीला सूरज डूब गया रह गया एक मैं देर तक नही इस अंधेरे से उस अंधेरे तक इस ख़्याल में कि पौ फटेगी सूरज आयेगा और फिर हो जायेंगे हम कम-से-क्म दो!  

और शामें-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

और शामें-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   और शामें इनके बारे में क्या कहूं फिर चाहता क्यों हूं कहना मैं इनके बारे भें जब इनमें से किसी एक भी शाम को निबाहता नहीं हूं मैं उस तरह निबाही जानी चाहिए जिस तरह हर सुंदरता !  

भोर के छोर पर-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

भोर के छोर पर-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   भोर के छोर पर मैंने तुम्हें देखा नहीं सुना सुना तुम्हारा स्वर और देखा भी स्वर को लहर कर पास आते हुए तुम मगर दूर होते जा रहे थे शायद भोर के छोर से भी और तभी उगा शुक्र …

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रात की छांह में-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

रात की छांह में-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   आज भी कहीं रात के पांव के नीचे नहीं रात के पांव के ठंडे पत्थरों के नीचे ठंडा और साफ पानी बह रहा होगा पानी के ऊपर की नाव की तरह हमारी तरह और पार कर रहे होंगे उस …

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पांव की नाव-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

पांव की नाव-तूस की आग-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   रात ने पांव के नीचे के पत्थरों को ठंडा कर दिया है और हवा में भर दिया है एक चमकदार सपना मैं उस सपने को देखता हुआ चल रहा हूं ठंडे पत्थरों पर डर ने मेरी अंगुली पकड़ ली है …

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