ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati 

ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati फूल, मोमबत्तियां, सपने-ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati  झील के किनारे -ठण्डा लोहा व  कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati  प्रथम प्रणय-ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi …

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फूल, मोमबत्तियां, सपने-ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati 

फूल, मोमबत्तियां, सपने-ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati यह फूल, मोमबत्तियां और टूटे सपने ये पागल क्षण यह काम–काज दफ्तर फाइल, उचटा सा जी भत्ता वेतन, ये सब सच है! इनमें से रत्ती भर न किसी से कोई कम, अंधी गलियों में पथभृष्टों के गलत कदम या …

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झील के किनारे -ठण्डा लोहा व  कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati 

झील के किनारे -ठण्डा लोहा व  कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati   चल रहा हूँ मैं कि मेरे साथ कोई और चलता जा रहा है ! दूर तक फैली हुई मासूम धरती की सुहागन गोद में सोये हुए नवजात शिशु के नेत्र-सी इस शान्त नीली झील के तट पर, चल …

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प्रथम प्रणय-ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati 

प्रथम प्रणय-ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati पहला दृष्टिकोणः यों कथा–कहानी–उपन्यास में कुछ भी हो इस अधकचरे मन के पहले आकर्षण को कोई भी याद नहीं रखता चाहे मैं हूं‚ चाहे तुम हो! कड़वा नैराश्य‚ विकलता‚ घुटती बेचैनी धीरे–धीरे दब जाती है‚ परिवार‚ गृहस्थी‚ रोजी–धंधा‚ राजनीति अखबार …

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मुक्तक-ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati 

मुक्तक-ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati एक – ओस में भीगी हुई अमराईयों को चूमता झूमता आता मलय का एक झोंका सर्द काँपती-मन की मुँदी मासूम कलियाँ काँपतीं और ख़ुशबू-सा बिखर जाता हृदय का दर्द! दो – ईश्वर न करे तुम कभी ये दर्द सहो दर्द, हाँ …

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मुग्धा-ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati 

मुग्धा-ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati यह पान फूल सा मृदुल बदन बच्चों की जिद सा अल्हड़ मन तुम अभी सुकोमल, बहुत सुकोमल, अभी न सीखो प्यार! कुँजो की छाया में झिलमिल झरते हैं चाँदी के निर्झर निर्झर से उठते बुदबुद पर नाचा करती परियाँ हिलमिल उन …

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थके हुए कलाकार से-ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati 

थके हुए कलाकार से-ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati सृजन की थकन भूल जा देवता! अभी तो पड़ी है धरा अधबनी, अभी तो पलक में नहीं खिल सकी नवल कल्पना की मधुर चाँदनी अभी अधखिली ज्योत्सना की कली नहीं ज़िन्दगी की सुरभि में सनी अभी तो पड़ी …

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निराला के प्रति-ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati 

निराला के प्रति-ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati वह है कारे कजरारे मेघों का स्वामी ऐसा हुआ कि युग की काली चट्टानों पर पाँव जमा कर वक्ष तान कर शीश घुमा कर उसने देखा नीचे धरती का ज़र्रा-ज़र्रा प्यासा है, कई पीढ़ियाँ बूँद-बूँद को तरस-तरस दम तोड़ …

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सुभाष की मृत्यु पर-ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati 

सुभाष की मृत्यु पर-ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati दूर देश में किसी विदेशी गगन खंड के नीचे सोये होगे तुम किरनों के तीरों की शैय्या पर मानवता के तरुण रक्त से लिखा संदेशा पाकर मृत्यु देवताओं ने होंगे प्राण तुम्हारे खींचे प्राण तुम्हारे धूमकेतु से चीर …

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कविता की मौत-ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati 

कविता की मौत-ठण्डा लोहा व कविता-धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati लादकर ये आज किसका शव चले? और इस छतनार बरगद के तले, किस अभागन का जनाजा है रुका बैठ इसके पाँयते, गर्दन झुका, कौन कहता है कि कविता मर गई? मर गई कविता, नहीं तुमने सुना? हाँ, वही कविता …

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