Tehzeeb Hafi-Ghazals Part 4

Tehzeeb Hafi-Ghazals Part 4   शोर करूँगा और न कुछ भी बोलूँगा   शोर करूँगा और न कुछ भी बोलूँगा ख़ामोशी से अपना रोना रो लूँगा सारी उम्र इसी ख़्वाहिश में गुज़री है दस्तक होगी और दरवाज़ा खोलूँगा तन्हाई में ख़ुद से बातें करनी हैं मेरे मुँह में जो आएगा बोलूँगा रात बहुत है तुम …

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