जिंदगी को गर बसर करना है-तारिक़ अज़ीम तनहा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Tariq Azeem Tanha
जिंदगी को गर बसर करना है-तारिक़ अज़ीम तनहा-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Tariq Azeem Tanha जिंदगी को गर बसर करना है, तो खुद पे इक नज़र करना है ! बदल दीजिए निज़ाम ए चमन, गर पैदा कोई दीदावर करना है! पहले जानने हैं शऊरे-शायरी, फिर खुदको सुख़नवर करना है! खुशबख्ती यूँ है …