मेरा जीवन विशेष था-तनेंद्र सिंह राठौड़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Tanendra Singh Rathore

मेरा जीवन विशेष था-तनेंद्र सिंह राठौड़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Tanendra Singh Rathore   मजबूरियां भी कम न थी, ख़ामोश था सफर मेरा। अभी उभरना शेष था मेरा जीवन विशेष था।। अपनों ने लूटा, तो गैरों ने मारा हर भट्टी पर तपा दिया मैंने जीवन सारा कड़वा सत्य बोलकर मेरा भाव निःशेष …

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कल कभी नहीं आता है-तनेंद्र सिंह राठौड़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Tanendra Singh Rathore

कल कभी नहीं आता है-तनेंद्र सिंह राठौड़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Tanendra Singh Rathore   ये सोचा कि कल कर दूंगा सारी समस्या हल कर दूंगा ला दूंगा नभ को पांव किनारे तज दूंगा सहारे न्यारे न्यारे और करूंगा भ्रम समर्पण स्वयं को लौ में करके अर्पण मैं आकाश भर के सारे …

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तनेंद्र सिंह राठौड़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Tanendra Singh Rathore

तनेंद्र सिंह राठौड़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Tanendra Singh Rathore कल कभी नहीं आता है-तनेंद्र सिंह राठौड़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Tanendra Singh Rathore मेरा जीवन विशेष था-तनेंद्र सिंह राठौड़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Tanendra Singh Rathore कोरोना काल (मंज़र के दिन)-तनेंद्र सिंह राठौड़-Hindi Poetry-हिंदी कविता …

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कोरोना काल (मंज़र के दिन)-तनेंद्र सिंह राठौड़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Tanendra Singh Rathore

कोरोना काल (मंज़र के दिन)-तनेंद्र सिंह राठौड़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Tanendra Singh Rathore   जरूर इतने दिन मजबूर था मैं अपने धंधे से दूर था मैं मगर अब फिर काम पर जाना है फिर अपनों को गले लगाना है अब वह तमाम जतन करने हैं जीने के नए प्रयत्न करने हैं …

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पथिक पथ प्रेरणा (काव्य)-तनेंद्र सिंह राठौड़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Tanendra Singh Rathore

पथिक पथ प्रेरणा (काव्य)-तनेंद्र सिंह राठौड़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Tanendra Singh Rathore   आशा के कुछ क्षणभर लेकर, साहस भरे कदमों से चलकर आँधी और तूफ़ानों से लड़ना शत्रु से शत्रु बन भिड़ना प्रखरता के चरम क्षणों में पत्थर बनकर न बिखरूँगा निज कर्मों से निखरूँगा यश-अपयश और क्षमा-याचना, सुख- दुःख …

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निज हित के प्रयास भुलाकर-तनेंद्र सिंह राठौड़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Tanendra Singh Rathore

निज हित के प्रयास भुलाकर-तनेंद्र सिंह राठौड़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Tanendra Singh Rathore रावतरस (श्रद्धा सुमन) ???????????????? निज हित के प्रयास भुलाकर निज प्राणों से ऊपर उठकर जो देश के हित सब करते हैं वो वीर भला कब मरते हैं! तीक्ष्ण धूप में, शीत- धार में घोर बसंत में, सूखे पतझड़ …

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