सुन्दरी का अंग-साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji
सुन्दरी का अंग-साखी(दोहे)-संत दादू दयाल जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sant Dadu Dayal Ji दादू नमो नमो निरंजनं, नमस्कार गुरु देवत:। वन्दनं सर्व साधावा, प्रणामं पारंगत:।1। आरतिवन्ती सुन्दरी, पल-पल चाहे पीव। दादू कारण कंत के, तालाबेली जीव।2। काहे न आवहु कंत घर, क्यों तुम रहे रिसाय। दादू सुन्दरि सेज पर, जन्म अमोलक …