स्वर्णधूलि -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 4
स्वर्णधूलि -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 4 अंतर्वाणी निःस्वर वाणी नीरव मर्म कहानी! अंतर्वाणी! नव जीवन सौन्दर्य में ढलो सृजन व्यथा गांभीर्य में गलो चिर अकलुष बन विहँसो हे जीवन कल्याणी, निःस्वर वाणी! व्यथा व्यथा रे जगत की प्रथा, जीवन कथा व्यथा! व्यथा मथित हो ज्ञान ग्रथित हो सजल सफल …