स्वर्णधूलि -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 7

स्वर्णधूलि -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 7 जाति मन सौ सौ बाँहें लड़ती हैं, तुम नहीं लड़ रहे, सौ सौ देहें कटती हैं, तुम नहीं कट रहे, हे चिर मृत, चिर जीवित भू जन! अंध रूढिएँ अड़ती हैं, तुम नहीं अड़ रहे, सूखी टहनी छँटती हैं, तुम नहीं छँट रहे, …

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गुंजन -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 3

गुंजन -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 3 सुन्दर मृदु-मृदु रज का तन सुन्दर मृदु-मृदु रज का तन, चिर सुन्दर सुख-दुख का मन, सुन्दर शैशव-यौवन रे सुन्दर-सुन्दर जग-जीवन! सुन्दर वाणी का विभ्रम, सुन्दर कर्मों का उपक्रम, चिर सुन्दर जन्म-मरण रे सुन्दर-सुन्दर जग-जीवन! सुन्दर प्रशस्त दिशि-अंचल, सुन्दर चिर-लघु, चिर-नव पल, सुन्दर पुराण-नूतन …

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युगवाणी -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 3

युगवाणी -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 3 नर की छाया पुरुषों ही की आँखों से नित देख देख अपना तन, पुरुषों ही के ‘भावों से अपने प्रति भर अपना मन,- लो, अपनी ही चितवन से वह हो उठती है लज्जित, अपने ही भीतर छिप छिप जग से हो गई तिरोहित …

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मधुज्वाल -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 12

मधुज्वाल -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 12 पंचम पिकरव, विकल मनोभव पंचम पिकरव, विकल मनोभव, यौवन उत्सव! मधुवन गुंजित, नीर तरंगित, तीर कल ध्वनित! हँसमुख सुन्दर प्रिय सुख-सहचर, प्रिया मनोहर, पी मदिराधर सखे, निरन्तर, जीवन क्षण भर! सुरा पान से, प्रीति गान से सुरा पान से, प्रीति गान से आज …

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कला और बूढ़ा चाँद -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 2

कला और बूढ़ा चाँद -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 2 बूढ़ा चाँद बूढ़ा चांद कला की गोरी बाहों में क्षण भर सोया है । यह अमृत कला है शोभा असि, वह बूढ़ा प्रहरी प्रेम की ढाल । हाथी दांत की स्‍वप्‍नों की मीनार सुलभ नहीं,- न सही । ओ बाहरी …

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स्वर्णधूलि -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 8

स्वर्णधूलि -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 8 प्रतीति विहगों का मधुर स्वर हृदय क्यों लेता हर? क्यों चपल जल लहर तन में भरती सिहर? तुमसे! नीला सूना सा नभ देता आनंद अलभ ऊषा संध्या द्वाभा स्वर्ण प्रभ, तुमसे! यह विरोध वारिधि जग शूल फूल सँग प्रतिपग लगता प्रिय मधुर सुभग, …

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गुंजन -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 4

गुंजन -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 4 अलि! इन भोली बातों को अलि! इन भोली बातों को अब कैसे भला छिपाऊँ! इस आँख-मिचौनी से मैं कह? कब तक जी बहलाऊँ? मेरे कोमल-भावों को तारे क्या आज गिनेंगे! कह? इन्हें ओस-बूँदों-सा फूलों में फैला आऊँ? अपने ही सुख में खिल-खिल उठते …

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स्वर्णकिरण -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 1

स्वर्णकिरण -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 1 छाया पट मन जलता है, अंधकार का क्षण जलता है, मन जलता है । मेरा मन तन बन जाता है, तन का मन फिर कट कर, छंट कर, कन कन ऊपर उठ पाता है । मेरा मन तन बन जाता है । तन …

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मधुज्वाल -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 13

मधुज्वाल -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 13 मदिराधर कर पान सखे मदिराधर कर पान, सखे, तू न धर न जुमे का ध्यान, लाज स्मित अधरामृत कर पान! सभी एक से तिथि, मिति, वासर, जुमा, पीर, इतवार, शनीचर! नीति-नियम निःसार! धर्म का यह इज़हार, ख़ुदा है ख़ुदा, न वह तिथि वार! …

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कला और बूढ़ा चाँद -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 3

कला और बूढ़ा चाँद -सुमित्रानंदन पंत -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sumitranandan Pant Part 3 गीत खग ओ अवाक् शिखरो, भू के वक्ष-से उभरे, प्रकाश में कसे,… दृष्टि तीरों-से तने,… हृदय मत बेधो, मर्म मत छेदो । कौन रहश्चंद्र था क्षितिज पर, कैसा तमिस्र सागर ? कव का उद्दाम ज्वार । धरती के उपचेतन से …

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