सुखमंगल सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sukhmangal Singh Part 1

सुखमंगल सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sukhmangal Singh Part 1 मर्यादा जीवन काल का मरम – सत्य सुबह – सुबह हमें बताती । गौरव गाथा हमें पढ़ाने मर्यादा ही पहले आती । मन से वचन और कर्म से बेदी पाठ हमें पढ़ाती । ऊषाकाल के महत्व को भोर मेन ही हमें जनाती । अरमानों …

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सुखमंगल सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sukhmangal Singh Part 2

सुखमंगल सिंह -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sukhmangal Singh Part 2 चाह नही मेरी चाह नही इसकी, बड़ा व्यक्तित्व कहाऊं ! चौबीस घंटे की धुन में, पाथर बन पूजा जाऊं ! सर्दी – गर्मी बरसातों में, छतरी एक न पाऊं ! प्रभुता की भले नहीं, मैं,लघुता के गीत सुनाऊँ ।। किसान की आजादी बजरी-बाजरा मूंगफली …

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