गाँव-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil

गाँव-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil मूत और गोबर की सारी गंध उठाए हवा बैल के सूजे कंधे से टकराए खाल उतारी हुई भेड़-सी पसरी छाया नीम पेड़ की। डॉय-डॉय करते डॉगर के सींगों में आकाश फँसा है। दरवाज़े पर बँधी बुढ़िया ताला जैसी लटक रही …

Read more

मोचीराम-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil

मोचीराम-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil राँपी से उठी हुई आँखों ने मुझे क्षण-भर टटोला और फिर जैसे पतियाये हुये स्वर में वह हँसते हुये बोला- बाबूजी सच कहूँ-मेरी निगाह में न कोई छोटा है न कोई बड़ा है मेरे लिये,हर आदमी एक जोड़ी जूता है …

Read more

बीस साल बाद-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil

बीस साल बाद-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil बीस साल बाद मेरे चेहरे में वे आँखें लौट आयी हैं जिनसे मैंने पहली बार जंगल देखा है : हरे रंग का एक ठोस सैलाब जिसमें सभी पेड़ डूब गए हैं। और जहाँ हर चेतावनी ख़तरे को टालने …

Read more

पटकथा-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil

पटकथा-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil जब मैं बाहर आया मेरे हाथों में एक कविता थी और दिमाग में आँतों का एक्स-रे। वह काला धब्बा कल तक एक शब्द था; खून के अँधेर में दवा का ट्रेडमार्क बन गया था। औरतों के लिये गै़र-ज़रूरी होने के …

Read more

सच्ची बात-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil

सच्ची बात-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil बाड़ियाँ फटे हुए बाँसों पर फहरा रही हैं और इतिहास के पन्नों पर धर्म के लिए मरे हुए लोगों के नाम बात सिर्फ़ इतनी है स्नानाघाट पर जाता हुआ रास्ता देह की मण्डी से होकर गुज़रता है और जहाँ …

Read more

 एक आदमी-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil

एक आदमी-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil शाम जब तमाम खुली हुई चीज़ों को बन्द करती हुई चली जाती है और दरवाज़े पर सिटकिनी का रंग बरामदे के अन्धकार में घुल जाता है जब मैं काम से नहीं होता याने की मैं नहीं ढोता अलमारियों में …

Read more

शहर में सूर्यास्त-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil

शहर में सूर्यास्त-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil अधजले शब्दों के ढेर में तुम क्या तलाश रहे हो? तुम्हारी आत्मीयता – जले हुए काग़ज़ की वह तस्वीर है जो छूते ही राख हो जायेगी। इस देश के बातूनी दिमाग़ में किसी विदेशी भाषा का सूर्यास्त फिर …

Read more

कुत्ता-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil

कुत्ता-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil उसकी सारी शख्सियत नखों और दाँतों की वसीयत है दूसरों के लिए वह एक शानदार छलांग है अँधेरी रातों का जागरण है नींद के खिलाफ़ नीली गुर्राहट है अपनी आसानी के लिए तुम उसे कुत्ता कह सकते हो उस लपलपाती …

Read more

उस औरत की बगल में लेटकर-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil

उस औरत की बगल में लेटकर-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil मैंने पहली बार महसूस किया है कि नंगापन अन्धा होने के खिलाफ़ एक सख्त कार्यवाही है उस औरत की बगल में लेटकर मुझे लगा कि नफ़रत और मोमबत्तियाँ जहाँ बेकार साबित हो चुकी हैं और …

Read more

शान्ति पाठ-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil

शान्ति पाठ-कल सुनना मुझे-सुदामा पांडेय धूमिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sudama Panday Dhoomil अखबारों की सुर्खियाँ मिटाकर दुनिया के नक्शे पर अन्धकार की एक नयी रेखा खींच रहा हूँ , मैं अपने भविष्य के पठार पर आत्महीनता का दलदल उलीच रहा हूँ। मेरा डर मुझे चर रहा है। मेरा अस्तित्व पड़ोस की …

Read more