शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep 

शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep  लीलावती छंद ‘मारवाड़ की नार’-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep  शंकर छंद ‘नश्वर काया’-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep  विद्या छंद ‘मीत संवाद’-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep  तोमर …

Read more

लीलावती छंद ‘मारवाड़ की नार’-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep 

लीलावती छंद ‘मारवाड़ की नार’-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep   हूँ मारवाड़ की एक नार, मैं अति बलशाली धीर वीर। पी सकती अपना अहम घूँट, दुख पीड़ा मन की सकल पीर।। पर सेवा मेरा परम धर्म, मन मानवता की गंग धार। जब तक जीवन की साँस साथ, मैं नहीं …

Read more

शंकर छंद ‘नश्वर काया’-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep 

शंकर छंद ‘नश्वर काया’-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep   माटी में मिल जाना सबको, मनुज मत तू भूल। काया का अभिमान बुरा है, बनेगी यह धूल।। चले गये कितने ही जग से, नित्य जाते लोग। बारी अपनी भी है आनी, अटल यह संयोग।। हाड़-माँस का पुतला काया, बनेगा जब …

Read more

विद्या छंद ‘मीत संवाद’-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep 

विद्या छंद ‘मीत संवाद’-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep   सुना मीत प्रेम का गीत, आ महका दें मधुशाला। खुले आज हृदय के द्वार, ले हाथों में मधु प्याला।। बढ़ो मीत चूम लो फूल, बन मधुकर तुम मतवाला। करो नृत्य झूम कर आज, रख होठों पर फिर हाला।। चलो साथ …

Read more

तोमर छंद “सुशिक्षा”-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep 

तोमर छंद “सुशिक्षा”-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep   अपनायें नवल जोश। रखना है हमें होश।। आडम्बर बुरी बात। सदियों तक करे घात।। कठपुतली बने लोग। भूल जीवन उपयोग।। अंधों की दौड़ छोड़। लो अपनी राह मोड़।। ज्ञान की आंखें खोल। सत्य का समझो मोल।। कौन सच झूठा कौन। बैठ …

Read more

चुलियाला छंद’ “मृदु वाणी”-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep 

चुलियाला छंद’ “मृदु वाणी”-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep   शब्दों के व्यवहार का, जिसने सीखा ज्ञान सुखी वह। वाणी कटुता से भरी, जो बोले है घोर दुखी वह।। होता यदि अन्याय हो, कायर बनकर कष्ट सहो मत। हँसकर कहना सीखिये, कटु वाणी के शब्द कहो मत।। औषध करती है …

Read more

मधुर ध्वनि छंद (वर्षा)-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep 

मधुर ध्वनि छंद (वर्षा)-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep   बजत मधुर ध्वनि,चंचल चितवनि,अति सुखकारी, मानो खिलखिल,सहज अकुंठिल,शिशु किलकारी। दामिनि दमकी,बूँदें चमकी,बरसा पानी, जन-जन गाये,अति हरषाये,रुत मस्तानी। कल-कल नदियाँ,मृदु पंखुड़ियाँ,खग भी चहके, जग यह सारा,गा मल्हारा,धुन पर बहके। नन्ही बूँदें,आँखें मूँदे, खूब इतरती, कभी इधर तो,कभी उधर वो,नाच बरसती। उमड़-घुमड़ …

Read more

प्रदोष छंद (कविता ऐसे जन्मी है)-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep 

प्रदोष छंद (कविता ऐसे जन्मी है)-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep   मन एकाग्रित कर लिया, चयन विषय का फिर किया। समिधा भावों की जली, तब ऐसे कविता पली। नौ रस की धारा बहे, अनुभव अपना सब कहे। लेकिन जो हिय छू रहा, कविमन उस रस में बहा। सुमधुर सरगम …

Read more

बिहारी छंद (प्रेम भाव)-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep 

बिहारी छंद (प्रेम भाव)-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep   मैं प्रेम भरे गीत सजन, आज सुनाऊँ। उद्गार सभी झूम रहे, शब्द सजाऊँ।। मैं चाह रही प्रीत भरा, कोश लुटाना। संसार लगे आज मुझे, सौम्य सुहाना।। रमणीक लगे बाग हरे, खेत लहकते। घन घूम रहे मस्त हुए, फूल महकते।। हर …

Read more

कलहंस छंद (तुलसी चरित)-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep 

कलहंस छंद (तुलसी चरित)-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep   तिथि सावन शुक्ल सप्तमी पावन। जन्मे तुलसी धरती सरसावन।। रचने को राम चरित मनभावन। भू के जन जन का मन हर्षावन।। थे आत्माराम पिता तुलसी के। वे दीप्तिमान सुत माँ हुलसी के।। कवि गण में वे थे परम श्रेष्ठ कवि। …

Read more