कविता -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 1

कविता -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 1 जलियाँवाला बाग में बसंत (जलियाँवाला बाग की घटना बैसाखी को घटी थी, बैसाखी वसंत से सम्बंधित महीनों (फाल्गुन और चैत्र) के अगले दिन ही आती है) यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते, काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते। कलियाँ …

Read more

कविता -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 2

कविता -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 2 झांसी की रानी सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी …

Read more

कविता -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 3

कविता -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 3 मेरा नया बचपन बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी। गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी। चिंता-रहित खेलना-खाना वह फिरना निर्भय स्वच्छंद। कैसे भूला जा सकता है बचपन का अतुलित आनंद? ऊँच-नीच का ज्ञान नहीं था …

Read more

कविता -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 4

कविता -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 4 साध मृदुल कल्पना के चल पँखों पर हम तुम दोनों आसीन। भूल जगत के कोलाहल को रच लें अपनी सृष्टि नवीन। वितत विजन के शांत प्रांत में कल्लोलिनी नदी के तीर। बनी हुई हो वहीं कहीं पर हम दोनों की पर्ण-कुटीर। …

Read more

कविता -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 5

कविता -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 5   बालिका का परिचय यह मेरी गोदी की शोभा, सुख सोहाग की है लाली शाही शान भिखारन की है, मनोकामना मतवाली दीप-शिखा है अँधेरे की, घनी घटा की उजियाली उषा है यह काल-भृंग की, है पतझर की हरियाली सुधाधार यह नीरस …

Read more

कविता -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 6

कविता -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 6 स्वदेश के प्रति आ, स्वतंत्र प्यारे स्वदेश आ, स्वागत करती हूँ तेरा। तुझे देखकर आज हो रहा, दूना प्रमुदित मन मेरा। आ, उस बालक के समान जो है गुरुता का अधिकारी। आ, उस युवक-वीर सा जिसको विपदाएं ही हैं प्यारी। आ, …

Read more

कविता -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 7

कविता -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 7 स्मृतियाँ क्या कहते हो? किसी तरह भी भूलूँ और भुलाने दूँ? गत जीवन को तरल मेघ-सा स्मृति-नभ में मिट जाने दूँ? शान्ति और सुख से ये जीवन के दिन शेष बिताने दूँ? कोई निश्चित मार्ग बनाकर चलूँ तुम्हें भी जाने दूँ? …

Read more

कविता -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 8

कविता -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 8 राखी भैया कृष्ण ! भेजती हूँ मैं राखी अपनी, यह लो आज । कई बार जिसको भेजा है सजा-सजाकर नूतन साज ।। लो आओ, भुजदण्ड उठाओ इस राखी में बँध जाओ । भरत – भूमि की रजभूमि को एक बार फिर …

Read more

मुकुल -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 1

मुकुल -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 1 कलह-कारण कड़ी आराधना करके बुलाया था उन्हें मैंने। पदों को पूजने के ही लिए थी साधना मेरी। तपस्या नेम व्रत करके रिझाया था उन्हें मैंने। पधारे देव, पूरी हो गई आराधना मेरी। उन्हें सहसा निहारा सामने, संकोच हो आया। मुँदीं आँखें …

Read more

मुकुल -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 2

मुकुल -सुभद्रा कुमारी चौहान -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Subhadra Kumari Chauhan Part 2 फूल के प्रति डाल पर के मुरझाए फूल! हृदय में मत कर वृथा गुमान। नहीं है सुमन कुंज में अभी इसी से है तेरा सम्मान। मधुप जो करते अनुनय विनय बने तेरे चरणों के दास। नई कलियों को खिलती देख नहीं …

Read more