सुदूर कामना -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar ,

सुदूर कामना -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar , सुदूर कामना सारी ऊर्जाएं सारी क्षमताएं खोने पर, यानि कि बहुत बहुत बहुत बूढ़ा होने पर, एक दिन चाहूंगा कि तू मर जाए। (इसलिए नहीं बताया कि तू डर जाए।) हां उस दिन अपने हाथों से तेरा संस्कार करुंगा, …

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चढ़ाई पर रिक्शेवाला -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar ,

चढ़ाई पर रिक्शेवाला -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar , (जो हथेलियों के कसाव से रिसते पसीने जैसी ज़िंदगी जीता है) तपते तारकोल पर पहले तवे जैसी एड़ी दिखती है फिर तलवा और फिर सारा बोझ पंजे की उंगलियों पर आता है। बायां पैर फिर दायां पैर फिर …

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कवित्त प्रयोग -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar ,

कवित्त प्रयोग -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar , (एक तो घर में नहीं अन्न के दाने ऊपर से मेहमान का अंदेशा) रीतौ है कटोरा थाल औंधौ परौ आंगन में भाग में भगौना के भी रीतौ रहिबौ लिखौ। सिल रूठी बटना ते चटनी न पीसै कोई चार हात …

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क्रम -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar ,

क्रम -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar , एक अंकुर फूटा पेड़ की जड़ के पास । एक किल्ला फूटा फुनगी पर । अंकुर बढ़ा जवान हुआ, किल्ला पत्ता बना सूख गया । गिरा उस अंकुर की जवानी की गोद में गिरने का ग़म गिरा बढ़ने के मोद …

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 चेतन जड़ -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar ,

चेतन जड़ -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar , प्यास कुछ और बढ़ी और बढ़ी । बेल कुछ और चढ़ी और चढ़ी । प्यास बढ़ती ही गई, बेल चढ़ती ही गई । कहाँ तक जाओगी बेलरानी पानी ऊपर कहाँ है ? जड़ से आवाज़ आई– यहाँ है, यहाँ …

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पहले पहले -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar ,

पहले पहले -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar , मुझे याद है वह जज़्बाती शुरुआत की पहली मुलाक़ात जब सोते हुए उसके बाल अंगुल भर दूर थे लेकिन उन दिनों मेरे हाथ कितने मज़बूर थे ?

नख़रेदार -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar ,

नख़रेदार -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar , भूख लगी है चलो, कहीं कुछ खाएं । देखता रहा उसको खाते हुए लगती है कैसी, देखती रही मुझको खाते हुए लगता हूँ कैसा । नख़रेदार पानी पिया नख़रेदार सिगरेट ढाई घंटे बैठ वहाँ बाहर निकल आए ।

किधर गईं बातें -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar ,

किधर गईं बातें -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar , चलती रहीं चलती रहीं चलती रहीं बातें यहाँ की, वहाँ की इधर की, उधर की इसकी, उसकी जने किस-किस की, कि एकएक सिर्फ़ उसकी आँखों को देखा मैंने उसने देखा मेरा देखना । और… तो फिर… किधर गईं …

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फिर कभी -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar ,

फिर कभी -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar , एक गुमसुम मैना है अकेले में गाती है राग बागेश्री । तोता उससे कहे कुछ सुनाओ तो ज़रा तो चोंच चढ़ाकर कहती है फिर कभी गाऊँगी जी ।

देह नृत्यशाला -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar ,

देह नृत्यशाला -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar , अँधेरे उस पेड़ के सहारे मेरा हाथ पेड़ की छाल के अन्दर ऊपर की ओर कोमल तव्चा पर थरथराते हुए रेंगा और जा पहुँचा वहाँ जहाँ एक शाख निकली थी । काँप गई पत्तियाँ काँप गई टहनी काँप गया …

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