कविता-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 2

कविता-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 2   घासफूल वे जिद्द पर अड़ गए निश्चित ही यह झूठी कहानी यह खबर प्रकाशित नहीं हुई किसी भी अखबार में कैसे घट सकती है ऐसी अघट्य घटना ? फूल कभी खिल सकते हैं बिन सभा, तालियों की गड़गड़ाहट, उदघाटन पत्रकार-सम्मेलन और संवाद-संबोधन के …

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कविता-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 3

कविता-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 3 नियमगिरि, खाम्बसी गाँव की चौरासी वर्षीय बूढ़ी की अनकही कहानी 1. ये जितने लंबे- लंबे पेड़ ये जितने लंबे- लंबे पेड़ ये जंगल , ये पहाड़ सात पुश्तों से, अति पवित्र ! देखने मात्र से घट जाती है भूख उधर बंगा है बुरूबंगा साथ …

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कविता-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 4

कविता-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 4 ओड़िशा इस नौ- तेईस छपरीले घर की चौखट को पारकर जहाँ भी जाता हूँ , दिल्ली, टोक्यो या लेनिनग्राड किसी काम से, किसी कवि- सम्मलेन में , किसी चेरी-फूलों के उद्यान में या नेवा नदी के तट पर अपने साथ ले जाता हूँ घर …

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कविता-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 1

कविता-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 1 समय का शेष नाम कई बार गोधूलि वेला की लालिमा में अकेले बैठकर मैं तुम्हारी कहानी सुनाता हूँ पतले तने के चंपा पेड़ को हँसते हुए मोगरे के फूल को निशब्द में उड़ती चिड़िया को अच्छे बच्चे की तरह पंख समेटे बैठी तितली को …

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कविता संग्रह-लौट आने का समय-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 1

कविता संग्रह-लौट आने का समय-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 1   देखो, मुझे ग़लत न समझना धूप गयी अब तारे निकले, फिर भी मैं बैठा रहा उस सुनसान अधडूबी अधटूटी नाव की मुंडेर पर । जैसे मैं खुद हूँ साँझ उसकी उदास शून्यता, उसका अकेलापन राह-दिशा-हीन एक रास्ता चारों ओर …

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कविता संग्रह-लौट आने का समय-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 2

कविता संग्रह-लौट आने का समय-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 2 पदाधिकारी सारी स्मृतियाँ क्षोभ और अनुरक्ति समस्त पराजय विस्मृति और क्षति बिना दुविधा और तर्क के स्वीकार लेता है वह आदमी सिर झुकाये सह जाता है सारे निर्णय। हवा रहित कोठरी में स्थिर दीपशिखा-सा दाँय-दाँय जलता है डावाँडोल काग़ज़ का …

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कविता संग्रह-लौट आने का समय-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 3

कविता संग्रह-लौट आने का समय-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 3 साँझ सवेरा हमेशा देर से पहुँचता हूँ : ताजे फूल, अगरु और मृत्यु की महक धूमिल कोठरी में भर चुकी होती है सारे शब्द निःशब्द मिल चुके होते हैं शून्य सागर में सारी मुद्राएँ स्तब्ध और चकित हो बिला जाती …

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कविता संग्रह-वर्षा की सुबह-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 1

कविता संग्रह-वर्षा की सुबह-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 1   हम मिट्टी के गर्भ में, सीने के हाड़ तले तमाम अँधेरा लबालब भर जाने पर तमाम काली रातें, तमाम दुःख और संताप की आँच उफन पड़ने पर एक धान अँकुराता है, एक शब्द से अर्थ फूटता है हरा पत्ता बोल …

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कविता संग्रह-तीस कविता वर्ष-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 1

कविता संग्रह-तीस कविता वर्ष-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 1   जाड़े की साँझ शंख, तरह-तरह की सीपियाँ बेचते बच्चे, सब को अपने अथाह भण्डार की थाती बखानता चनाचूर वाला, स्मृतियों में डूबते-उतराते पके आम-से कई बूढ़े, एक-दूसरे में खोये नव-दम्पती हँसते-खेलते झुण्ड के झुण्ड कॉलेज-छात्र सभी जा चुके हैं जिसे …

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कविता संग्रह-वर्षा की सुबह-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 3

कविता संग्रह-वर्षा की सुबह-सीताकांत महापात्र -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sitakant Mahapatra Part 3   दिन यह खिलखिलाकर हँसता मुखरित होता सबेरा, यह दिन अब धीरे-धीरे सुरझा जाएगा, झर जाएगा अँधेरे की गोद में जैसे हर दिन मुरझा जाता है, झर जाता है बह जाएगा, जहाँ बह जाता है हर दिन। उसके बाद रात में …

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