श्रंगार सोरठा-रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shringar-Sortha

श्रंगार सोरठा-रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shringar-Sortha गई आगि उर लाय, आगि लेन आई जो तिय । लागी नाहिं, बुझाय, भभकि भभकि बरि-बरि उठै ।।1।। तुरुक गुरुक भरिपूर, डूबि डूबि सुरगुरु उठै । चातक चातक दूरि, देह दहे बिन देह को ।।2।। दीपक हिए छिपाय, नबल वधू घर ले चली । कर विहीन पछिताय, …

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