शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh

शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh मैं ज़िन्दगी में आज पहली बार घर नहीं गया – Tehzeeb Hafi बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh मरियम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Tehzeeb Hafi | मरना लगा रहेगा यहाँ जी तो लीजिए | Bachpan – by Nidhi Narwal | FNP …

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(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh

(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 15 बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh Part 19 बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh …

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मैं अमर शहीदों का चारण-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral 

मैं अमर शहीदों का चारण-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral मैं अमर शहीदों का चारण, उनके गुण गाया करता हूँ जो कर्ज राष्ट्र ने खाया है, मैं उसे चुकाया करता हूँ। यह सच है, याद शहीदों की हम लोगों ने दफनाई है यह सच है, उनकी लाशों पर चलकर आज़ादी आई …

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 काँटे अनियारे लिखता हूँ-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral 

काँटे अनियारे लिखता हूँ-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral अपने गीतों से गंध बिखेरूँ मैं कैसे मैं फूल नहीं काँटे अनियारे लिखता हूँ। मैं लिखता हूँ मँझधार, भँवर, तूफान प्रबल मैं नहीं कभी निश्चेष्ट किनारे लिखता हूँ। मैं लिखता उनकी बात, रहे जो औघड़ ही जो जीवन–पथ पर लीक छोड़कर चले …

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माँ-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral 

माँ-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral इस एक शब्द ‘माँ’ में है मंत्र–शक्ति भारी यह मंत्र–शक्ति सबको फलदायी होती है, आशीष–सुधा माँ देती अपने बच्चों को वह स्वयं झेलती दुःख, विषपायी होती है। माँ से कोमल है शब्द–कोश में शब्द नहीं माँ की ममता से बड़ी न कोई ममता है, उपमान …

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कहो नहीं करके दिखलाओ-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral 

कहो नहीं करके दिखलाओ-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral कहो नहीं करके दिखलाओ उपदेशों से काम न होगा जो उपदिष्ट वही अपनाओ कहो नहीं, करके दिखलाओ। अंधकार है! अंधकार है! क्या होगा कहते रहने से, दूर न होगा अंधकार वह निष्क्रिय रहने से सहने से अंधकार यदि दूर भगाना कहो नहीं …

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मुझमें ज्योति और जीवन है-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral 

मुझमें ज्योति और जीवन है-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral मुझमें ज्योति और जीवन है मुझमे यौवन ही यौवन है। मुझमें ज्योति और जीवन है। मुझे बुझा कर देखे कोई बुझने वाला दीप नहीं मैं, जो तट पर मिल जाया करती ऐसी सस्ती सीप नहीं मैं। शब्द-शब्द मेरा मोती है, गहन …

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पीड़ा का आनन्द-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral 

पीड़ा का आनन्द-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral जो कष्ट दूसरे के हैं ओढ़ लिया करते वह कष्ट नहीं होता, आनन्द कहलाता है, कहने वाले कहते, वह पीड़ा भुगत रहा उस पीड़ा में भी वह मिठास ही पाता है। हम व्यक्ति राष्ट्र या फिर समाज के दुख बाँटे अनुभूति नहीं फिर …

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नेतृत्व-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral 

नेतृत्व-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral नेता, समाज को है नेतृत्व दिया करता संकट आएँ, वह उनको स्वयं झेलता है, वह झोंक नहीं देता लोगों को भट्टी में खतरे आते, वह उनसे स्वयं खेलता है। योग्यता अपेक्षित होती है हर नेता में अपने समाज को सही दिशा में ले जाए, पहचान …

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जवानी खुद अपनी पहचान-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral 

जवानी खुद अपनी पहचान-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral जवानी खुद अपनी पहचान जवानी की है अद्भुत शान जवानी खुद अपनी पहचान। घिसट कर चलता बचपन है लड़कपन अल्हड़ जीवन है बुढ़ापा थका-थका चलता जवानी ऊँची बहुत उड़ान जवानी खुद अपनी पहचान। जवानी लपटों का घर है जवानी पंचम का स्वर …

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