श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 12

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 12   मोहन, मानि मनायौ मेरौ मोहन, मानि मनायौ मेरौ । हौं बलिहारी नंद-नँदन की, नैकु इतै हँसि हेरौ ॥ कारौ कहि-कहि तोहि खिझावत, बरज त खरौ अनेरौ । इंद्रनील मनि तैं तन सुंदर, कहा कहै बल चेरौ ॥ न्यारौ जूथ …

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श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 13

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 13  माखन बाल गोपालहि भावै माखन बाल गोपालहि भावै । भूखे छिन न रहत मन मोहन, ताहि बदौं जो गहरु लगावै ॥ आनि मथानी दह्यौ बिलोवौं, जो लगि लालन उठन न पावै । जागत ही उठि रारि करत है, नहिं मानै …

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श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 14

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 14 आँगन मैं हरि सोइ गए री आँगन मैं हरि सोइ गए री । दोउ जननी मिलि कै हरुऐं करि सेज सहित तब भवन लए री ॥ नैकु नहीं घर मैं बैठत हैं, खेलहि के अब रंग रए री । इहिं …

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श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 15

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 15 गोपाल राइ चरननि हौं काटी गोपाल राइ चरननि हौं काटी । हम अबला रिस बाँचि न जानी, बहुत लागि गइ साँटी ॥ वारौं कर जु कठिन अति कोमल, नयन जरहु जिनि डाँटी । मधु. मेवा पकवान छाँड़ि कै, काहैं खात …

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श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 16

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 16    आपु गए हरुएँ सूनैं घर आपु गए हरुएँ सूनैं घर । सखा सबै बाहिर ही छाँड़े, देख्यौ दधि-माखन हरि भीतर ॥ तुरत मथ्यौ दधि-माखन पायौ, लै-लै खात, धरत अधरनि पर । सैन देइ सब सखा बुलाए, तिनहि देत भरि-भरि …

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श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 1

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 1 (माई) आजु हो बधायौ बाजै नंद गोप-राइ कै (माई) आजु हो बधायौ बाजै नंद गोप-राइ कै । जदुकुल-जादौराइ जनमे हैं आइ कै ॥ आनंदित गोपी-ग्वाल नाचैं कर दै-दै ताल, अति अहलाद भयौ जसुमति माइ कै । सिर पर दूब धरि …

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श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 18

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 18  हरि सब भाजन फोरि पराने हरि सब भाजन फोरि पराने । हाँक देत पैठे दै पेला, नैकु न मनहिं डराने ॥ सींके छोरि, मारि लरिकन कौं, माखन-दधि सब खाइ । भवन मच्यौ दधि-काँदौ, लरिकनि रोवत पाए जाइ ॥ सुनहु-सुनहु सबहिनि …

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श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 2

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 2  हरि मुख देखि हो बसुदेव हरि मुख देखि हो बसुदेव । कोटि-काल-स्वरूप सुंदर, कोउ न जानत भेव ॥ चारि भुज जिहिं चारि आयुध, निरखि कै न पत्याउ । अजहुँ मन परतीति नाहीं नंद-घर लै जाउ ॥ स्वान सूते, पहरुवा सब, …

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श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 17

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 17 चौरी करत कान्ह धरि पाए चौरी करत कान्ह धरि पाए । निसि-बासर मोहि बहुत सतायौ, अब हरि हाथहिं आए ॥ माखन-दधि मेरौ सब खायौ, बहुत अचगरी कीन्ही । अब तौ घात परे हौ लालन, तुम्हें भलैं मैं चीन्ही ॥ दोउ …

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श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 5

श्रीकृष्ण बाल-माधुरी -भक्त सूरदास जी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhakt Surdas Ji Part 5 चलत देखि जसुमति सुख पावै चलत देखि जसुमति सुख पावै । ठुमुकि-ठुमुकि पग धरनी रेंगत, जननी देखि दिखावै ॥ देहरि लौं चलि जात, बहुरि फिर-फिरि इत हीं कौं आवै । गिरि-गिरि परत बनत नहिं नाँघत सुर-मुनि सोच करावै ॥ कोटि …

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