क़ितआ-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia part 3

क़ितआ-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia part 3 कौन सूद-ओ-ज़ियाँ की दुनिया में कौन सूद-ओ-ज़ियाँ की दुनिया में दर्द ग़ुर्बत का साथ देता है जब मुक़ाबिल हों इश्क़ और दौलत हुस्न दौलत का साथ देता है क्या बताऊँ कि सह रहा हूँ मैं क्या बताऊँ कि सह रहा हूँ …

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क़ितआ-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia part 2

क़ितआ-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia part 2 हर तंज़ किया जाए हर इक तअना दिया जाए हर तंज़ किया जाए हर इक तअना दिया जाए कुछ भी हो पर अब हद्द-ए-अदब में न रहा जाए तारीख़ ने क़ौमों को दिया है यही पैग़ाम हक़ माँगना तौहीन है हक़ …

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क़ितआ-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia part 1

क़ितआ-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia part 1 इश्क़ समझे थे जिस को वो शायद इश्क़ समझे थे जिस को वो शायद था बस इक ना-रसाई का रिश्ता मेरे और उस के दरमियाँ निकला उम्र भर की जुदाई का रिश्ता साल-हा-साल और इक लम्हा साल-हा-साल और इक लम्हा कोई …

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क्या हुए आशुफ़्ता-काराँ क्या हुए-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia 

क्या हुए आशुफ़्ता-काराँ क्या हुए-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia क्या हुए आशुफ़्ता-काराँ क्या हुए याद-ए-याराँ यार-ए-याराँ क्या हुए अब तो अपनों में से कोई भी नहीं वो परेशाँ रोज़गाराँ क्या हुए सो रहा है शाम ही से शहर-ए-दिल शहर के शब-ज़िंदा-दाराँ क्या हुए उस की चश्म-ए-नीम-वा से पूछियो …

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ज़िक्र-ए-गुल हो ख़ार की बातें करें-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia 

ज़िक्र-ए-गुल हो ख़ार की बातें करें-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia ज़िक्र-ए-गुल हो ख़ार की बातें करें लज़्ज़त-ओ-आज़ार की बातें करें है मशाम-ए-शौक़ महरूम-ए-शमीम ज़ुल्फ़-ए-अम्बर-बार की बातें करें दूर तक ख़ाली है सहरा-ए-नज़र आहू-ए-तातार की बातें करें आज कुछ ना-साज़ है तब-ए-ख़िरद नर्गिस-ए-बीमार की बातें करें यूसुफ़-ए-कनआँ’ का हो …

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न हुआ नसीब क़रार-ए-जाँ हवस-ए-क़रार भी अब नहीं-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia 

न हुआ नसीब क़रार-ए-जाँ हवस-ए-क़रार भी अब नहीं-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia न हुआ नसीब क़रार-ए-जाँ हवस-ए-क़रार भी अब नहीं तिरा इंतिज़ार बहुत किया तिरा इंतिज़ार भी अब नहीं तुझे क्या ख़बर मह-ओ-साल ने हमें कैसे ज़ख़्म दिए यहाँ तिरी यादगार थी इक ख़लिश तिरी यादगार भी अब …

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हू का आलम है यहाँ नाला-गरों के होते-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia 

हू का आलम है यहाँ नाला-गरों के होते-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia हू का आलम है यहाँ नाला-गरों के होते शहर ख़ामोश है शोरीदा-सरों के होते क्यूँ शिकस्ता है तिरा रंग मता-ए-सद-रंग और फिर अपने ही ख़ूनीं-जिगरों के होते कार-ए-फ़र्याद-ओ-फ़ुग़ाँ किस लिए मौक़ूफ़ हुआ तेरे कूचे में तिरे …

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हम रहे पर नहीं रहे आबाद-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia 

हम रहे पर नहीं रहे आबाद-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia हम रहे पर नहीं रहे आबाद याद के घर नहीं रहे आबाद कितनी आँखें हुईं हलाक-ए-नज़र कितने मंज़र नहीं रहे आबाद हम कि ऐ दिल-सुख़न थे सर-ता-पा हम लबों पर नहीं रहे आबाद शहर-ए-दिल में अजब मोहल्ले थे …

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भटकता फिर रहा हूँ जुस्तुजू बिन-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia 

भटकता फिर रहा हूँ जुस्तुजू बिन-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia भटकता फिर रहा हूँ जुस्तुजू बिन सरापा आरज़ू हूँ आरज़ू बिन कोई इस शहर को ताराज कर दे हुई है मेरी वहशत हा-ओ-हू बिन ये सब मोजिज़-नुमाई की हवस है रफ़ूगर आए हैं तार-ए-रफ़ू बिन मआश-ए-बे-दिलाँ पूछो न …

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हम कहाँ और तुम कहाँ जानाँ-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia 

हम कहाँ और तुम कहाँ जानाँ-शायद-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia हम कहाँ और तुम कहाँ जानाँ हैं कई हिज्र दरमियाँ जानाँ राएगाँ वस्ल में भी वक़्त हुआ पर हुआ ख़ूब राएगाँ जानाँ मेरे अंदर ही तो कहीं ग़म है किस से पूछूँ तिरा निशाँ जानाँ आलम-ए-बेकरान-ए-रंग है तू …

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