पूर्णमदः-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

पूर्णमदः-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   हर बदल रहा आकार मेरी अंजुलि में आना चाहिए विराट हुआ करे कोई उसे मेरी इच्छा में समाना चाहिए !

मित्रता और पवित्रता-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

मित्रता और पवित्रता-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   आडम्बर में समाप्त न होने पाए पवित्रता और समाप्त न होने पाए मित्रता शिष्टाचार में सम्भावना है इतना-भर अवधान-पूर्वक प्राण-पूर्वक सहेजना है मित्रता और पवित्रता को !  

आत्म अनात्म-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

आत्म अनात्म-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   समझ में आ जाना कुछ नहीं है भीतर समझ लेने के बाद एक बेचैनी होनी चाहिए कि समझ कितना जोड़ रही है हमें दूसरों से वह दूसरा फूल कहो कविता कहो पेड़ कहो फल कहो असल कहो बीज कहो …

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घर और वन और मन-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

घर और वन और मन-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   हवा मेरे घर का चक्कर लगाकर अभी वन में चली जाएगी भेजेगी मन तक बाँस के वन में गुँजाकर बाँसुरी की आवाज़ एक हो जाएँगे इस तरह घर और वन और मन हवा का आना हवा …

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सावधान-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

सावधान-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   जहाँ-जहाँ उपस्थित हो तुम वहाँ-वहाँ बंजर कुछ नहीं रहना चाहिए निराशा का कोई अंकुर फूटे जिससे तुम्हें ऐसा कुछ नहीं कहना चाहिए !  

समझो भी-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

समझो भी-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   कई बार लगता है अकेला पड़ गया हूँ साथी-संगी विहीन क्या हाने हनूँगा तुम्हारे मन के लायक़ मैं कैसे बनूँगा शक्ति तुमने दी है मगर साथी तो चाहिए आदमी को आदमी की इस कमी को समझो उसके मन की …

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भले आदमी-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

भले आदमी-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   भले आदमी रुक रहने का पल अभी नहीं आया बीज जिस फल के लिए तूने बोया था वह फल अभी नहीं आया तेरे वृक्ष में टूटती हुई साँस की डोर को अभी जितना लंबा खींच सके खींच सींच चुका …

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अंदाज़-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

अंदाज़-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   अंदाज़ लग जाता है कि घिरने वाले हैं बादल फटने वाला है आसमान ख़त्म हो जाने वाला है अस्तित्व सूर्य का इसी तरह सुनाई पड़ जाता है स्वर परिवर्तन के तूर्य का कि छँटने वाले हैं बादल साफ़ हो जाने …

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स्वप्न-शेष-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

स्वप्न-शेष-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   सपनों का क्या करो कहाँ तक मरो इनके पीछे कहाँ-कहाँ तक खिंचो इनके खींचे कई बार लगता है लो यह आ गया हाथ में आँख खोलता हूँ तो बदल जाता है दिन रात में !  

सिर्फ़ दो-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

सिर्फ़ दो-शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   होने को सिर्फ़ दो हैं हम मगर कम नहीं होते दो जब चारों तरफ़ कोई और न हो !