मुक्तक-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi 

मुक्तक-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi   भँवर मुझको डुबाएँ तो, डुबाने दो, न रोना तुम। तरंगें तूल पर है; स्वर हवाओं में न खोना तुम।। पुकारों पर दया करती नहीं मझधार की बाँहें- किनारे! धूल हैं केवल; कहीं आँसू न बोना तुम।। मखमली कालीन घूरों पर बिछा …

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आँख का पानी-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi 

आँख का पानी-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi   यों तुम्हारे काम ऐसे ही रहे; पर, देश का यौवन, नहीं निर्जीव हो पाया। अभी भी शक्ति है उसमें, लड़ाई क्या लड़ोगे? मत कसो लंगोट, मेरी बात मानो- दम्भ छोड़ो और सत्ता का नशा भी। अब तुम्हारी चाल, चलने …

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संपादक से-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi 

संपादक से-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi   बन्धुवर! आप से मैं परिचित नहीं हूँ; पर- भेज दी हैं, ऐसी दो- अनुभूतियाँ कि जो- आप ही हुईं हैं अभिव्यक्त काव्य बन कर। शायद करेंगे आप न्याय साथ इनके? वर्तमान सम्पादक- परिचय को मानते हैं, पूजते हैं नाम को, …

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मैं डर गया हूँ-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi 

मैं डर गया हूँ-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi   स्वप्न नहीं, सत्य। मुझे निश्चित पता है मित्र! धूप जैसे गुण वाली, चाँदनी से लिपा-पुता- भीमकाय नील-नभ, नयनों से बहे नीर वाले क्षुब्ध सिन्धु में- कल जो समा गया। बस, बस, तभी से सिर चकरा रहा है, मैं- …

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गीतिका (७)-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi 

गीतिका (७)-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi   मन आरती उतारो, उस आदमी की पहले। जो आदमी की ख़ातिर, दो देवता की सह ले।। उस दीप का पुजारी, तू हो सके तो हो ले। जो जूझता अकेला सौ आँधियों में रह ले।। इस आँख के प्रणय का परिणाम …

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गीतिका (६)-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi 

गीतिका (६)-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi   इस गाँव में रुका क्या? नीलाम हो रहा हूँ। बदनाम तो नहीं था, बदनाम हो रहा हूँ।। यों साथ हूँ सभी के, सब जानते मुझे हैं। आसार दीखते हैं, गुमनाम हो रहा हूँ।। अंगार का कथन है, ‘मैं मौन सो …

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गीतिका (५)-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi 

गीतिका (५)-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi   स्वर कोकिला का, केवल उपमान बन गया है। जब काँव-काँव रव ही, कलगान बन गया है।। किस मंच पर पधारूँ, मैं गीत क्या सुनाऊँ? जब कण्ठ भावना का प्रतिमान बन गया है।। कलियुग तुम्हारे घर में क्या जन्म लें युधिष्ठिर? …

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गीतिका (४)-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi 

गीतिका (४)-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi   मत यों उदास हो मन, मेरी साधना में बल है। भगवान भी मिलेगा, मेरी भावना विमल है।। सब साथ दे उठेंगे, मेरी योजना सरल है। सब रो उठेंगे सचमुच, मेरी वेदना सकल है।। सब नीड़ मान लेंगे, मेरी सर्जना सफल …

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गीतिका (३)-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi 

गीतिका (३)-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi   राह चलते हुए थक गया हूँ। यह न समझो कि मैं रुक गया हूँ।। दर्द के गाँव में दो प्रहर हूँ। यह न समझो कि मैं बस गया हूँ।। दृष्टि का धर्म है, रूप-दर्शन। यह न समझो कि मैं बिक …

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गीतिका (२)-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi 

गीतिका (२)-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi   रोज़ रूठो, तुम्हें मैं मनाता रहूँ। आख़िरी साँस तक प्यार पाता रहूँ।। खीँच आँचल चलो गाँव की ओर जब- तुम सुनो ही नहीं, मैं बुलाता रहूँ।। बादलो यों घिरो, वे डरें, रो उठें। धीर भर अंक में, मैं बँधाता रहूँ।। …

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