जिउ जननी सुतु जणि पालती-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji
जिउ जननी सुतु जणि पालती-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji जिउ जननी सुतु जणि पालती राखै नदरि मझारि ॥ अंतरि बाहरि मुखि दे गिरासु खिनु खिनु पोचारि ॥ तिउ सतिगुरु गुरसिख राखता हरि प्रीति पिआरि ॥१॥ मेरे राम हम बारिक हरि प्रभ के है इआणे ॥ …