ओ जन-मन के सजग चितेरे-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun

ओ जन-मन के सजग चितेरे-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun हँसते-हँसते, बातें करते कैसे हम चढ़ गए धड़ाधड़ बंबेश्वर के सुभग शिखर पर मुन्ना रह-रह लगा ठोकने तो टुनटुनिया पत्थर बोला— हम तो हैं फ़ौलाद, समझना हमें न तुम मामूली पत्थर नीचे है बुंदेलखंड की रत्न-प्रसविनी भूमि शीश पर गगन …

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यह दंतुरित मुस्कान-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun

यह दंतुरित मुस्कान-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान मृतक में भी डाल देगी जान धूली-धूसर तुम्हारे ये गात छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात परस पाकर तुम्हारी ही प्राण, पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका …

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सिंदूर तिलकित भाल-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun

सिंदूर तिलकित भाल-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun घोर निर्जन में परिस्थिति ने दिया है डाल! याद आता है तुम्हारा सिंदूर तिलकित भाल! कौन है वह व्यक्ति जिसको चाहिए न समाज? कौन है वह एक जिसको नहीं पड़ता दूसरे से काज? चाहिए किसको नहीं सहयोग? चाहिए किसको नही सहवास? कौन …

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कालिदास-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun

कालिदास-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun कालिदास! सच-सच बतलाना इन्दुमती के मृत्युशोक से अज रोया या तुम रोये थे? कालिदास! सच-सच बतलाना! शिवजी की तीसरी आँख से निकली हुई महाज्वाला में घृत-मिश्रित सूखी समिधा-सम कामदेव जब भस्म हो गया रति का क्रंदन सुन आँसू से तुमने ही तो दृग धोये …

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नीम की दो टहनियाँ-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun

नीम की दो टहनियाँ-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun नीम की दो टहनियाँ झाँकती हैं सीखचों के पार यह कपूरी धूप शिशिर की यह दुपहरी, यह प्रकृति का उल्लास रोम-रोम बुझा लेगा ताज़गी की प्यास रात-भर जगती रही खटती रही अब कर रही आराम गाढ़ी नींद का आश्वास भर अब …

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वसंत की अगवानी-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun

वसंत की अगवानी-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun दूर कहीं पर अमराई में कोयल बोली परत लगी चढ़ने झींगुर की शहनाई पर वृद्ध वनस्पतियों की ठूँठी शाखाओं में पोर-पोर टहनी-टहनी का लगा दहकने टूसे निकले, मुकुलों के गुच्छे गदराए अलसी के नीले पुष्पों पर नभ मु्स्काया मुखर हुई बांसुरी, उंगलियाँ …

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अकाल और उसके बाद-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun

अकाल और उसके बाद-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त। दाने आए घर के अंदर कई दिनों …

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होतीं बस आँखें ही आँखें-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun

होतीं बस आँखें ही आँखें-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun थकी-पकी तनी-घनी भौंहें नीली नसोंवाल ढलके पपोटे सयत्न-विस्फारित कोए कोरों में जमा हुआ कीचड़ कुछ नहीं होता कुछ नहीं होता होतीं बस आँखें ही आँखें बेतरतीब बालों का जंगल झुर्रियों भरा कुंचित ललाट खिचड़ी दाढ़ी का उजाड़ घोंसला कुछ नहीं …

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तुम किशोर, तुम तरुण-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun

तुम किशोर, तुम तरुण-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun तुम किशोर तुम तरुण तुम्हारी राह रोककर अनजाने यदि खड़े हुए हम : कितना ही गुस्सा आए, पर, मत होना नाराज वय:संधि के कितने ही क्षण हमने भी तो इसी तरह फेनिल क्षोभों के बीच गुजारे कान लगाकर सुनो : कहीं …

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क्या अजीब नेचर पाया है-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun

क्या अजीब नेचर पाया है-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun कदम-कदम पर मुसकाती है बात-बात पर हँस देती है दिल का दर्द कभी नहीं जाहिर करती है सच वतलाना, कभी उसास नहीं भरती है ? मुझको तो लगता है, तूने बहुत-बहुत-सा जहर पिया है धीरे-धीरे सारा ही विष पचा लिया …

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