ओ जन-मन के सजग चितेरे-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun
ओ जन-मन के सजग चितेरे-सतरंगे पंखोंवाली -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun हँसते-हँसते, बातें करते कैसे हम चढ़ गए धड़ाधड़ बंबेश्वर के सुभग शिखर पर मुन्ना रह-रह लगा ठोकने तो टुनटुनिया पत्थर बोला— हम तो हैं फ़ौलाद, समझना हमें न तुम मामूली पत्थर नीचे है बुंदेलखंड की रत्न-प्रसविनी भूमि शीश पर गगन …