किसको उम्मीद थी जब रौशनी जवां होगी – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita,

किसको उम्मीद थी जब रौशनी जवां होगी – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita, किसको उम्मीद थी जब रौशनी जवां होगी कल के बदनाम अंधेरों पे मेहरबां होगी खिले हैं फूल कटी छातियों की धरती पर फिर मेरे गीत में मासूमियत कहाँ होगी आप आयें तो कभी गाँव …

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भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita,

भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita, भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो या अदब को मुफ़लिसों की अंजुमन तक ले चलो जो ग़ज़ल माशूक के जल्वों से वाक़िफ़ हो गयी उसको अब बेवा के माथे की शिकन …

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जो उलझ कर रह गई फाइलों के जाल में – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita,

जो उलझ कर रह गई फाइलों के जाल में – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita, जो उलझ कर रह गई फाइलों के जाल में गांव तक वो रोशनी आयेगी कितने साल में बूढ़ा बरगद साक्षी है किस तरह से खो गई रमसुधी की झोपड़ी सरपंच की चौपाल …

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काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita,

काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita, काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में उतरा है रामराज विधायक निवास में पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैत इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में आजादी का वो जश्न मनायें तो …

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जिस्म क्या है, रुह तक सब कुछ खुलासा देखिए – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita,

जिस्म क्या है, रुह तक सब कुछ खुलासा देखिए – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita, जिस्म क्या है, रुह तक सब कुछ खुलासा देखिए । आप भी इस भीड़ में घुसकर तमाशा देखिए । जो बदल सकती है इस दुनिया के मौसम का मिज़ाज, उस युवा पीढ़ी …

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ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन जंग थी – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita,

ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन जंग थी – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita, ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन जंग थी । फिर कहाँ से बीच में मस्जिद औ’ मंदर आ गए । जिनके चेह्रे पर लिखी थी जेल की ऊँची फ़सील, रामनामी ओढ़कर संसद के अन्दर आ …

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जो ‘डलहौजी’ न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita,

जो ‘डलहौजी’ न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita, जो ‘डलहौजी’ न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे । कमीशन दो तो हिन्दुस्तान को नीलाम कर देंगे । सुरा औ’ सुन्दरी के शौक़ में डूबे हुए रहबर, ये दिल्ली …

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आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita,

आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita, आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे अपने शाहे-वक़्त का यूँ मर्तबा आला रहे देखने को दे उन्हें अल्लाह कंप्यूटर की आँख सोचने को कोई बाबा बाल्टी वाला रहे तालिबे …

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भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita,

भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita, भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है अहले हिन्दुस्तान अब तलवार के साये में है छा गई है जेहन की परतों पर मायूसी की धूप आदमी …

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बज़ाहिर प्यार को दुनिया में जो नाकाम होता है – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita,

बज़ाहिर प्यार को दुनिया में जो नाकाम होता है – समय से मुठभेड़-अदम गोंडवी- Adam Gondvi-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita, बज़ाहिर प्यार को दुनिया में जो नाकाम होता है। कोई रूसॊ कोई हिटलर, कोई ख़ैयाम होता है । ज़हर देते हैं उसको हम कि ले जाते हैं सूली पर, यही इस दौर …

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