संयुक्त परिवार-कविता-पीयूष पाचक-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Piyush Pachak
संयुक्त परिवार-कविता-पीयूष पाचक-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Piyush Pachak कलयुग के वन में घर-परिवार के संसद सदन में, रीति रिवाज बकवास-बंडल, परिजन मंत्रिमण्डल, सास के आगे बहू दोनों की क्या कहूँ गृह कार्य में दक्ष हैं, सशक्त विपक्ष हैं, उखड़े-उखड़े मन, बाहर से समर्थन हरकतें ठीक वैसी की वैसी, ‘लोकतंत्र’ ऐसी की …