नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh

नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh धार खंजर की-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh प्यारा वतन होगा-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh बुलबुल की फरियाद-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh  हिन्दीओं …

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धार खंजर की-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh

धार खंजर की-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh सुना है तेज़ करते हैं दोबारा धार खंजर की। करेंगे आजमाइश क्या मुकर्रर वो मेरे सिर की। सबब पूछा तो यों बोले नहीं जाहिर खता कोई, मगर कुछ दीख पड़ती है शरारत दिल के अंदर की। उजाड़े घोंसले कितने चमन बर्बाद …

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प्यारा वतन होगा-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh

प्यारा वतन होगा-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh जब अपना बागबां होगा चमन अपना चमन होगा। तो फिर फसले बहार आएगी पहला सा चमन होगा। मनाही फिर न होगी बुलबुलों को चहचहाने की, जुबां अपनी जुबां होगी दहन अपना दहन होगा। गुलामी की कटेंगी बेड़ियां सारी मगर उस दिन, …

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बुलबुल की फरियाद-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh

बुलबुल की फरियाद-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh दे दे मुझे तू जालिम मेरा वो आशियाना। आरामगाह मेरी मेरा बहिशतखाना। दे कर मुझे भुलावा घर-बार छीन कर तू, उस को बना रहा है मेरा ही कैदखाना। उस के ही खा के टुकड़े बदखुआर बन गया तू, मुफलिस समझ के …

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 हिन्दीओं को इनाम-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh

हिन्दीओं को इनाम-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh नहीं कोई दुनिया में सानी तुम्हारी। चलो देख ली हुक्मरानी तुम्हारी। नफा कुछ न कानून रौलट से पाया, बढ़ा दी मगर बदगुमानी तुम्हारी। हवाई जहाजों से गोले गिराना, न भूलेंगे हम मेहरबानी तुम्हारी। सिले में फतेह की दिया मार्शल लाअ, मिली …

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चल बसे-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh

चल बसे-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh मकरो फरेब चल बसे अब दिन शबाब के। भड़काने लगी है मौत भी सिर जनाब के। जब वक्त था हजूर का तब ऐश किया खूब, सामान सजाए रहे दूल्हा नवाब के। जिनको न थे नसीब कभी जाम के दीदार, गटकाए उन्होंने शीशे …

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दोतरफी जंग-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh

दोतरफी जंग-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh चढ़े हुए हैं दिमाग जैसे इधर हमारे उधर तुम्हारे। बढ़े निडर हैं तनाव इसके इधर हमारे उधर तुम्हारे। तुम्हें यकीन है जबर सितम का, हमें भरोसा है कलगीधर का, हटेंगे हरगिज न पैर पीछे इधर हमारे उधर तुम्हारे। फतह तुम्हारी जरूर होगी …

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भारत माता का विलाप-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh

भारत माता का विलाप-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh गैर सूरत है मेरी देखने आए कोई। कौन है किस्सा-ए-गम जिस को सुनाए कोई। कहती है रो-रो के हर इक पे ये भारत माता, मुझे कमजोर समझ कर न सताए कोई। दूध बचपन में सपूतों को पिलाया मैंने, अब बुढ़ापे …

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 जुबां को ताड़ना-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh

जुबां को ताड़ना-नानक सिंह -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nanak Singh ऐ जुबां खामोश वरना काट डाली जाएगी। खंजर-ए-डायर से बोटी छांट डाली जाएगी। चापलूसी छोड़कर गर कुछ कहेगी, साफ तू, इस खता में मुल्क से फौरन निकाली जाएगी। देख गर चाहेगी अपने हमनशीनों का भला, बागियों की पार्टी में तू भी …

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