अंतरि पिआस उठी प्रभ केरी-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji
अंतरि पिआस उठी प्रभ केरी-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji अंतरि पिआस उठी प्रभ केरी सुणि गुर बचन मनि तीर लगईआ ॥ मन की बिरथा मन ही जाणै अवरु कि जाणै को पीर परईआ ॥१॥ राम गुरि मोहनि मोहि मनु लईआ ॥ हउ आकल बिकल भई …